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यूरोप में Luxury Life जीने का सपना देख भारतीय ने एजेंट को दिए 12 लाख, "डंकी रूट" से सर्बिया के जरिये जर्मनी पहुंच कर हुआ निर्वासित

भारत के पंजाब राज्य से डंकी रूट के जरिये जर्मनी ले जाए जाने का एक मामला प्रकाश में आया है। पंजाब से हरविंदर सिंह नाम के शख्स को एजेंटों ने 12 लाख रुपये लेकर डंकी रूट से सर्बिया होते हुए जर्मनी भेजा, लेकिन ठगी का शिकार होने के बाद उसे वहां से दिल्ली के लिए निर्वासित कर दिया गया।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: March 28, 2024 19:05 IST
भारत से जर्मनी (प्रतीकात्मक नक्शा)- India TV Hindi
Image Source : X भारत से जर्मनी (प्रतीकात्मक नक्शा)

यूरोप में Luxury Life जीने का सपना देख कर एक भारतीय शख्स ने एजेंट को दिए 12 लाख रुपये दिए। एजेंट से उसका सौदा तय हुआ और फिर उसे "डंकी रूट" से सर्बिया के जरिये जर्मनी के शरणार्थी शिविर तक पहुंचा दिया गया। मगर 5 महीने तक बीत जाने के बाद भी उसे एजेंट किसी भी यूरोपीय देश में व्यवस्थित कराने में नाकाम रहा। जबकि लग्जरी लाइफ जीने का ख्वाब पालकर पंजाब के हरविंदर सिंह ने सर्बिया से जर्मनी तक का चुनौतीपूर्ण सफर डंकी मार्ग के जरिये तय किया। इस दौरान उसे सर्बिया के विपरीत मौसमी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा और कई चेक पोस्ट पर मीलों पैदल रेगिस्तान और जंगल के खतरनाक रास्तों से गुजरना पड़ा। आखिरकार उसे वापस निर्वासित कर दिया गया। यह अवैध प्रवासन का सबसे ताजा उदाहरण है। 

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक एजेंटों ने जर्मनी के शरणार्थी शिविर में 5 महीने गुजारने वाले हरविंदर सिंह को यूरोपीय देशों में शरण का वादा किया था, लेकिन गत 20 मार्च को उसे निर्वासित कर दिया गया। हरविंदर उन लाखों एशियाई मूल के लोगों में शामिल है, जिसे बाल्कन मार्ग के जरिये सर्बिया से जर्मनी डंकी रूट से ले जाया गया था। संयोगवश सर्बिया ने 1 जनवरी 2023 से सभी भारतीयों के लिए वीजामुक्त यात्रा सेवा बंद कर दी। इससे भारतीय पासपोर्ट धारकों को बिना वीजा सर्बिया में प्रवेश और 30 दिनों तक रहने का अधिकार भी नहीं रह गया। सर्बिया के अनुसार उसके इस कदम का उद्देश्य यूरोपीय संघ की वीजा नीति का पालन करना और अवैध प्रवासन को रोकना था। 

सर्बिया के जरिये इन यूरोपीय देशों में भेजे जाते हैं अप्रवासी

सूत्रों के अनुसार सर्बिया के रास्ते मुख्य रूप से जर्मनी, इटली, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया जैसे देशों में अप्रवासी लोगों को भेजा जाता है। गत वर्ष जून में यूरोपीय संघ ने अप्रवासियों को यूरोप भेजने वाले एक संगठित अपराध गिरोह को खत्म करने के लिए जर्मनी, रोमानिया और सर्बिया में कानून प्रवर्तन अधिकारियों के साथ समन्वय बैठक की थी। इस दौरान पता चला था कि सैकड़ों प्रवासियों को तस्करी कर जर्मनी लाया गया था। इस गिरोह को पकड़ने के लिए 200 से अधिक अधिकारियों ने छापेमारी कर के जर्मनी से 2 संदिग्धों को पकड़ा था। साथ ही रोमानिया से 9 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनके पास से लग्जरी कारें, नकदी और अन्य कीमती सामान बरामद हुए थे। 

प्रवासियों का संगठित गिरोहों ने जमकर किया शोषण

अधिकारियों के अनुसार तस्करी कर जर्मनी लाए गए लोगों का एजेंटों ने जमकर शोषण किया था। प्रत्येक से करीब 4000 यूरो लेने के बाद उन्हें लारियों में भरकर भेजा गया। चेक पोस्ट और पुलिस से बचने के लिए दुर्गम रास्तों से मीलों पैदल चलवाया गया। फिर उन्हें सुरक्षा एजेंसियों की नजर से बचाने के लिए एक मॉल के पीछे विपरीत परिस्थितियों में छुपाकर रखा गया। 

हरविंदर कैसे पहुंचा पंजाब से जर्मनी

दिल्ली में एयरपोर्ट पर उजागर हुए इस मामले में पता चला कि हरविंदर को पंजाब के संदीप नामक एक एजेंट ने यूरोप भेजा था। एयरपोर्ट की डीसीपी उषा रंगनानी के अनुसार उसने जर्मनी पहुंचने के बाद अपना पासपोर्ट रद्द करने और फिर फर्जी दस्तावेज बनाने वाले अधिकारियों तक पहुंचने के लिए कहा था। ताकि उसे यूरोप का फर्जी प्रमाण पत्र मिल जाए। इससे उसे शरणार्थी का दर्जा मिल जाता। हरविंदर सिंह 28 नवंबर 2023 को पर्यटक वीजा पर यहां से यूरोप के लिए निकला था। उसे बाद में आपातकालीन प्रमाण पत्र पर वापस भेज दिया गया था, लेकिन बाद में उसमें उसके दस्तावेजों में माता-पिता के विवरण गलत पाए गए। इससे यह पकड़ में आया कि उसने जर्मनी में प्रमाण पत्र बनाने वाले अधिकारियों को गलत विवरण दिया था। उन्होंने कहा कि अभी यह पता लगाने के प्रयास हो रहा है कि इस डंकी रूट के जरिये एजेंटों ने और किन-किन भारतीयों को विदेश भेजा है। 

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