US-Japan Alliance: चीन की विस्तारवादी नीति सिर्फ ताइवान और भारत के लिए ही नहीं, बल्कि जापान के लिए भी खतरा बन रही है। लिहाजा जापान अभी से सतर्क हो गया है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद से शांत अवस्था में बैठा जापान पहली बार हरकत में नजर आ रहा है। वजह है चीन की जापान के समुद्री सीमा क्षेत्र में बढ़ती दखलंदाजी और उसकी सुरक्षा व संप्रभुता को लगातार पैदा किया जा रहा खतरा। अमेरिका समेत अन्य देशों को आशंका है कि चीन ताइवान पर कब्जा करने के लिए उस पर हमला कर सकता है। वह जापान की संप्रभुता को भी चुनौती दे रहा है। लिहाजा अब जापान और अमेरिका सबसे ताकतवर गठबंधन बनाने जा रहे हैं। इसके तहत यदि चीन ने ताइवान पर हमला किया या फिर जापान की संप्रभुता के लिए खतरा बना तो उसकी खैर नहीं होगी।
चीन से बढ़ते खतरे को देखते हुए जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा यूरोप और ब्रिटेन के साथ सैन्य संबंधों को मजबूत करने और वाशिंगटन में एक शिखर सम्मेलन में जापान-अमेरिका गठबंधन के महत्व को रेखांकित करने के लिये सोमवार से एक सप्ताह लंबी यात्रा शुरू कर रहे हैं। किशिदा की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब (विश्व) युद्ध के बाद अपनाए गए संयम से इतर चीन की आक्रामकता बढ़ती जा रही है। इसके मद्देनजर जापान ज्यादा सक्रिय हो गया है।
इन देशों के साथ गठबंधन को मजबूत करेगा जापान
जापान के पीएम फुमियो किशिदा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ शुक्रवार मिलेंगे। किशिदा इस दौरे के दौरान फ्रांस, इटली, ब्रिटेन और कनाडा भी जाएंगे । यह देश उन सात देशों के समूह में हैं जिनके साथ जापान ने रक्षा संबंधों को आगे बढ़ाया है। उनके इस विदेश दौरे का पहला पड़ाव सोमवार को पेरिस है। किशिदा ने कहा कि बाइडन के साथ उनकी शिखर वार्ता जापान-अमेरिका गठबंधन की ताकत को रेखांकित करेगी और यह भी निर्धारित करेगी कि कैसे दोनों देश जापान की नई सुरक्षा और रक्षा रणनीतियों के तहत अधिक निकटता से काम कर सकते हैं। जापान ने दिसंबर में प्रमुख सुरक्षा और रक्षा सुधारों को अपनाया, जिसमें जवाबी हमले की क्षमता हासिल करना भी शामिल है। यह देश के विशेष रूप से सिर्फ आत्मरक्षा के लिए युद्ध के पहले के सिद्धांत के विपरीत है।
चीन और उत्तर कोरिया पर नजर
जापान का कहना है कि चीन और उत्तर कोरिया में तेजी से बढ़ते हथियारों से बचाव के लिए मिसाइल ‘इंटरसेप्टर’ की मौजूदा तैनाती अपर्याप्त है। किशिदा ने कहा कि वह बाइडन को नई रणनीति समझाएंगे, जिसके तहत जापान भी योनागुनी और इशिगाकी सहित ताइवान के करीब अपने दक्षिण-पश्चिमी द्वीपों पर रक्षातंत्र को मजबूत कर रहा है और वहां नए ठिकानों का निर्माण किया जा रहा है। किशिदा ने चीन के बढ़ते सैन्य और आर्थिक प्रभाव का मुकाबला करने के लिए राष्ट्रीय और आर्थिक सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने की दृष्टि का जिक्र करते हुए एनएचके राष्ट्रीय टेलीविजन टॉक शो ‘संडे’ में कहा, “जापान-अमेरिका गठबंधन को और मजबूत करने पर चर्चा करेंगे, और कैसे हम मुक्त व स्वतंत्र हिंद-प्रशांत की दिशा में एक साथ काम करते हैं।
चीन के खिलाफ जापान तैनात करेगा क्रूज मिसाइल
नई रणनीतियों के तहत जापान ने 2026 में लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों की तैनाती शुरू करने की योजना बनाई है जो चीन में संभावित लक्ष्यों तक पहुंच सकती हैं। इसके अलावा रक्षा बजट को वर्तमान एक प्रतिशत से सकल घरेलू उत्पाद के लगभग दो प्रतिशत के नाटो मानक के अनुरूप करने के लिये पांच साल के भीतर अपने रक्षा बजट को लगभग दोगुना करना और साइबरस्पेस व खुफिया क्षमताओं में सुधार करना भी नई रणनीति में शामिल है।
यह विचार कम समय में जितना संभव हो उतना करना है क्योंकि कुछ विशेषज्ञों को लगता है कि बढ़ते जोखिमों को देखते हुए चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग स्व-शासित ताइवान के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। चीन ताइवान पर अपने क्षेत्र के हिस्से के रूप में दावा करता है। बाइनड और अमेरिकी संसद के कुछ सदस्यों ने जापान की इस नई रणनीति का स्वागत किया है।