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King Charles III: ब्रिटेन का किंग बनते ही इन 14 देशों पर शुरू हुआ चार्ल्स का शासन, कुछ जगह शाही शासन का हो रहा विरोध

King Charles III: वर्तमान में टोगो और गाबोन राष्ट्रमंडल देशों में शामिल होने वाले नए सदस्य हैं। हालांकि ये दोनों देश कभी भी ब्रिटेन के गुलाम नहीं रहे हैं। 56 देशों में से 14 राष्ट्रमंडल देश शाही शासन के तहत आते हैं।

Written By: Shilpa
Updated on: September 14, 2022 14:38 IST
King Charles III UK- India TV Hindi
Image Source : AP King Charles III UK

Highlights

  • दुनिया के कई देशों पर शाही परिवार का शासन
  • प्रिंस चार्ल्स का महाराज बनते ही 14 देशों पर शासन
  • कई देशों में शाही शासन का विरोध किया जा रहा है

King Charles III: चार्ल्स तृतीय अब ब्रिटेन के नए महाराजा बन गए हैं। उनके किंग बनते ही कैरेबियाई देशों में राजनेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उन्हें राष्ट्राध्यक्ष के तौर पर हटाने की मांग तेज कर दी है। इस ताजा मामले के साथ ही राष्ट्रमंडल देशों में चार्ल्स के नेतृत्व में राजशाही के भविष्य को लेकर बहस शुरू हो गई है। महाराज के तौर पर अब चार्ल्स दुनिया के कई देशों पर राज करेंगे। ये देश राष्ट्रमंडल के अंतर्गत आते हैं। महारानी एलिजाबेथ की मौत के बाद से इन देशों में बदलाव की मांग उठ रही है। ये सभी देश ब्रिटेन के उपनिवेश रहे हैं, जहां अंग्रेजों ने शासन किया था।  

56 में से 14 देशों पर शासन

वर्तमान में टोगो और गाबोन राष्ट्रमंडल देशों में शामिल होने वाले नए सदस्य हैं। हालांकि ये दोनों देश कभी भी ब्रिटेन के गुलाम नहीं रहे हैं। 56 देशों में से 14 राष्ट्रमंडल देश शाही शासन के तहत आते हैं। यहां महाराजा चार्ल्स का ही शासन चलेगा। जब 1952 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की ताजपोशी की गई थी, तब कुछ देशों को आजादी मिल गई थी और कुछ ने राजशाही को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। लेकिन एलिजाबेथ ने राष्ट्रमंडल को एक ऐसे विकल्प के तौर पर देखा, जिसके जरिए वह इन देशों को अपने करीब रख सकती थीं। 

जब राष्ट्रमंडल देशों के नेता साल 2018 में मिले थे, तो इन्होंने पुष्टि की थी कि महारानी की मौत के बाद चार्ल्स संगठन के राष्ट्राध्यक्ष होंगे। जिन 14 देशों पर चार्ल्स महाराजा के तौर पर शासन करेंगे, उनमें ब्रिटेन और तुवालू के अलावा एंटीगुआ एंड बारबुडा, बहामास, कनाडा, ग्रेनादा, जमैका, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गुनिया, सेंट किट्स और नेविस, सेंट लूसिया, सेंट विंसेट एंड ग्रेनेजियंस और सोलोमन द्वीप शामिल हैं। लेकिन अब कुछ देशों में राजशाही का विरोध होना शुरू हो गया है। कुछ देशों ने स्वतंत्र गणराज्य के रूप में मोर्चे के लिए आवाज उठाना भी शुरू कर दिया है।

कई देशों में अब बदलाव की जरूरत

एंटीगुआ एंड बारबुडा, जमैका, सेंट विंसेट एंड ग्रेनेजियंस उन देशों में शामिल हैं, जो अब बदलाव करना चाहते हैं। इनका कहना है कि इस जनमत संग्रह का मतलब यह नहीं होना चाहिए कि राजशाही और एंटीगुआ और बारबुडा के बीच मतभेद हैं। बल्कि यह पूर्ण स्वतंत्रता की ओर एक कदम है। इसी तरह की आवाज जमैका में भी उठ रही हैं। यहां प्रधानमंत्री एंड्रयू होलनेस ने कहा कि चार्ल्स के बेटे प्रिंस विलियम ने मार्च में इस साल कहा था कि ये देश एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ रहा है।

एक सर्वे में जमैका में 56 फीसदी लोगों ने ब्रिटिश राजशाही से अलग होने के पक्ष में वोट दिया है। वहीं ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गुनिया, सोलोमन द्वीप और तुवालू ने राजशाही के साथ रहने का मन बना लिया है।

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