Highlights
- शिंजियांग से जुड़े मुद्दे मानवाधिकारों से नहीं
- शिंजियांग में हिंसक आतंकी घटनाएं नहीं हुईं
- चीन सबकुछ इतना छिपाकर रखता है
Uighur Muslims: चीन ने शिंजियांग में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में हुए मतदान में भारत के अनुपस्थित रहने पर शनिवार को भी अपनी खामोशी बरकरार रखी। हालांकि, चीन ने शिंजियांग में उइगर मुस्लिमों के खिलाफ अपनी कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि यह आतंकवाद और अलगाववाद को रोकने के प्रति लक्षित है। जिनेवा में, यूएनएचआरसी में बृहस्पतिवार को शिंजियांग मुद्दे पर मतदान से भारत के अनुपस्थित रहने के बाद चीन की यह टिप्पणी आई है।
आतंकवाद का मुकाबला करने से संबद्ध
शुक्रवार को भारत ने इस स्वायत्त क्षेत्र के लोगों के अधिकारों का सम्मान करने और गारंटी प्रदान करने की पहली बार अपील की थी। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, ‘‘मैंने संबद्ध खबरें देखी हैं और जोर देते हुए यह कहना चाहती हूं कि शिंजियांग से जुड़े मुद्दे मानवाधिकारों से नहीं, बल्कि आतंकवाद का मुकाबला करने से संबद्ध हैं।’’उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष अरिंदम बागची की टिप्पणियों के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में यह कहा।
कोई भी हिंसक घटनाएं नहीं हुई
माओ ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘प्रबल कोशिशों के कारण लगातार पांच वर्षों से शिंजियांग में हिंसक आतंकी घटनाएं नहीं हुईं। ’’ हालांकि, यूएनएचआरसी में मतदान से भारत के अनुपस्थित रहने पर उनकी प्रतिक्रिया मांगे जाने पर वह खामोश रहीं। संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष मानवाधिकार संस्था में एक प्रस्ताव लाकर शिंजियांग में मानवाधिकारों की स्थिति पर चर्चा कराने की मांग की गई थी। माओ ने दावा किया कि मतदान से यह प्रदर्शित हुआ कि सच्चाई की सदा जीत होग।
मुस्लिमों के खिलाफ करता है अत्यचार
दरसअल, आपको बता दें कि चीन सबकुछ इतना छिपाकर रखता है कि ऐसे अत्याचारों के बारे में कई जानकारियां तो बाहर ही नहीं आ पाती हैं। खुद संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वह इसे लेकर निश्चित तौर पर यह नहीं बता सकता कितने लोगों को डिटेंशन सेंटर में रखा गया है। हालांकि, मानवाधिकार समूहों का अनुमान है कि अकेले उत्तर पूर्व के चीन के शिनजियांग प्रांत में 10 लाख से ज्यादा लोगों को डिटेंशन सेंटरों में कैद करके रखा गया है। वहां उन्हें अमानवीय यातनाएं दी जाती हैं। उइगर मुस्लिमों को जबरन दवाइयां दी जाती हैं। उन पर परिवार नियोजन और बर्थ कंट्रोल नीतियों की भेदभावपूर्ण नीति लागू की जाती है।
यूएन की रिपोर्ट ने किया था इशारा
यूएन ने चीन की उइगर मुसलमानों पर भेदभाव वाली नीति और यातनाओं पर अपील की है कि वे इस पर लगाम लगाए। यूएन के अनुसार चीन की कुछ करतूतें अंतरराष्ट्रीय अपराधों की श्रेणी में आती हैं। यूएन रिपोर्ट में यहां तक इशारा किया गया है कि चीन की कुछ कार्रवाइयां 'मानवता के खिलाफ अपराध समेत अंतरराष्ट्रीय अपराधों' की श्रेणी में आती हैं।