Highlights
- भारतीय मूल की 51 साल की महिला को 2017 में हुआ स्तन कैंसर
- छह महीने तक कीमोथैरेपी हुई, अप्रैल 2018 में मास्टेकटोमी हुई
- 15 रेडियोथेरेपी के बावजूद लौटा कैंसर तो क्लीनिकल परीक्षण का बनीं हिस्सा
Cancer: कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका नाम सुनकर इंसान ये मान लेता है कि यह बीमारी ठीक नहीं होगी और अब पीड़ित व्यक्ति की मौत निश्चित है। हालांकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। दुनिया में कई ऐसे लोग हैं, जो कैंसर से ठीक हुए हैं और एक सामान्य जिंदगी बिता रहे हैं। ताजा मामला एक भारतीय मूल की 51 साल की महिला से जुड़ा है। इस महिला को कैंसर था और डॉक्टरों ने कुछ साल पहले कहा था कि वह अब ज्यादा समय तक जीवित नहीं रहेंगी। लेकिन ये महिला ब्रिटेन में भारतीय कैंसर परीक्षण में दवाओं के प्रायोगिक परीक्षण के बाद ठीक हो गई हैं और उनमें स्तन कैंसर का कोई सबूत नहीं मिला है।
ब्रिटेन के एक अस्पताल के डॉक्टरों ने सोमवार को बताया कि क्लीनिकल परीक्षण के बाद भारतीय मूल की 51 वर्षीय महिला में स्तन कैंसर का कोई साक्ष्य नहीं मिला है। इस बात को जानने के बाद से महिला बहुत खुश है। इस महिला का नाम जैसमिन डेविड है और वह मैनचेस्टर के फैलोफील्ड की रहने वाली हैं।
जैसमिन डेविड को दी गई ये दवा
क्लीनिकल परीक्षण में कैंसर की पुष्टि नहीं होने पर अब वह सितंबर में आने वाली अपनी शादी की 25वीं वर्षगांठ मनाने के लिए उत्साहित हैं। बता दें कि मैनचेस्टर क्लीनिकल रिसर्च फैसिलिटी (सीआरएफ) में 2 साल तक डेविड पर किए गए परीक्षण के दौरान उन्हें एटेजोलिजुमेब के साथ एक दवा दी गई, जोकि एक इम्यूनोथेरेपी दवा है।
मुझे इस इलाज से फायदा मिला: जैसमिन
डेविड ने याद करते हुए बताया कि उन्हें कैंसर का इलाज कराए 15 महीने हो चुके थे और वो इसे लगभग भूल चुकी थीं, लेकिन यह बीमारी वापस लौट आई। उन्होंने कहा कि जब मुझे परीक्षण की पेशकश की गई, तो मुझे नहीं पता था कि यह मेरे काम आएगा, लेकिन मैंने सोचा कि मैं कम से कम अपने शरीर का उपयोग करके दूसरों की मदद और अगली पीढ़ी के लिए कुछ कर सकती हूं।
कैंसर के दौरान हुई कई तरह के इलाज
उन्होंने बताया कि शुरू में मुझे सिरदर्द और तेज बुखार सहित कई भयानक दुष्प्रभाव हुए। फिर मुझे इलाज का फायदा होता दिखा। उन्हें नवंबर 2017 में स्तन कैंसर से पीड़ित होने के बारे में पता चला था। छह महीने तक उनकी कीमोथैरेपी की गई और अप्रैल 2018 में मास्टेकटोमी की गई। इसके बाद 15 रेडियोथेरेपी की गईं, इसके बाद कैंसर खत्म हो गया। लेकिन अक्टूबर 2019 में कैंसर फिर लौट आया और वह इससे बुरी तरह ग्रस्त हो गईं। इस दौरान उन्हें बताया गया कि उनके पास एक साल से भी कम जिंदगी बची है। दो महीने बाद जब कोई विकल्प नहीं बचा, तब उन्हें क्लीनिकल परीक्षण का हिस्सा बनने की पेशकेश की गई।