Putin on America and NATO: रूस और यूक्रेन की जंग एक साल पूरे होने के बाद भी लगातार जारी है। इसी बीच रूस ने कई बार परमाणु प्रलय की धमकी भी दी है। दरअसल, अमेरिका और ब्रिटेन सहित नाटो देश यूक्रेन को रूस के खिलाफ हथियारों और धन से मदद कर रहे हैं। इन सबके बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका, ब्रिटेन और नाटो देशों पर बड़ा हमला बोला है। पुतिन ने खरी खरी सुनाते हुए कह दिया है कि पश्चिमी देश यूक्रेन को चाहे कितने भी हथियार दे दें, कितनी भी मदद कर दें, वे रूस को नहीं हरा सकते।
पुतिन ने यह स्पष्ट किया कि यूक्रेन को नाटो देश हथियारों की मदद कर रहे हैं। यह चिंता का कारण है। हालांकि इससे रूस को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। पुतिन ने अमेरिका और नाटो देशों को चेतावनी देते हुए कहा कि रूस के पास हथियारों का जखीरा जमा है, भरा हुआ है। इसका अभी तक इस्तेमाल ही नहीं किया गया है।
‘यूक्रेन को हथियार देने वाले कौन, हमे सब पता है‘
पुतिन ने कहा कि खतरे निश्चित रूप से मौजूद हैं। जब हथियारों की आपूर्ति किसी ऐसे देश को की जाती है जिसके साथ हम संघर्ष में हैं, तो यह हमेशा एक खतरा होता है। उन्होंने यह भी कहा कि हम जानते हैं कि कौनसा देश यूक्रेन को किस हद तक हथियारों की आपूर्ति कर सकता है। पश्चिमी देशों के यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई पर पुतिन ने कहा कि हम इन डिलीवरी योजनाओं के बारे में देखते, सुनते और जानते हैं। आपने टैंकों की डिलीवरी के बारे में 10 लाख गोले का उल्लेख किया है। 10 लाख, यह बहुत है या थोड़ा। मेरे हिसाब से यह एक महत्वपूर्ण राशि है।
पश्चिमी देशों के दावों की खोली पोल
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि मान लें कि अमेरिका हमारी जानकारी के अनुसार प्रतिमाह लगभग 14000 से 15000 गोले का उत्पादन करता है। हमारे अनुमान के मुताबिक यूक्रेनी सेना दुश्मनी में प्रतिदिन 5000 गोले तक का इस्तेमाल करती है। ऐसे में इतनी डिलीवरी कितने दिनों में होगी और यूक्रेन उतने गोलों से कितने दिनों तक युद्ध लड़ पाएगा। पुतिन ने पश्चिमी देशों की कथनी और करनी में आंकड़ों का उदाहरण देकर अंतर समझाने की कोशिश की।
यूक्रेन को हथियार देने पर जताई नाराजगी
पुतिन ने स्पष्ट किया कि रूसी सैन्य उत्पादन काफी तेजी से बढ़ रहा है। लोगों की उम्मीद से भी तेजी से यह उत्पादन हो रहा है। उन्होंने बताया कि जंग की अवधि में रूस तीन गुना ज्यादा गोले का प्रोडक्शन करेगा। पुतिन ने कहा कि हम हथियारों की आपूर्ति के बारे में इस दृष्टिकोण से चिंतित हैं कि यह संघर्ष को लंबा करने का एक प्रयास है। किसी भी कीमत पर हथियारों की आपूर्ति शायद निर्णय सही नहीं है।