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किंग चार्ल्स-3 की ताजपोशी में शामिल होंगे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, समारोह से पहले कही ये बड़ी बात

ब्रिटेन के महाराजा चार्ल्स-3 के ताजपोशी समारोह में प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी शामिल होंगे। समारोह से पहले प्रधानमंत्री सुनक ने महाराज चार्ल्स तृतीय के राज्याभिषेक के उत्सव में एक विशेष संदेश दिया है, जिसमें उन्होंने 1000 साल से अधिक पुराने धार्मिक समारोह में सभी धर्मों द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका पर प्रकाश डाला।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : May 06, 2023 10:05 IST, Updated : May 06, 2023 10:05 IST
ऋषि सुनक, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री
Image Source : AP ऋषि सुनक, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री

ब्रिटेन के महाराजा चार्ल्स-3 के ताजपोशी समारोह में प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी शामिल होंगे। समारोह से पहले प्रधानमंत्री सुनक ने महाराज चार्ल्स तृतीय के राज्याभिषेक के उत्सव में एक विशेष संदेश दिया है, जिसमें उन्होंने 1000 साल से अधिक पुराने धार्मिक समारोह में सभी धर्मों द्वारा निभाई जाने वाली केंद्रीय भूमिका पर प्रकाश डाला है। भारतीय मूल के नेता और 10 डाउनिंग स्ट्रीट के पहले हिंदू पदाधिकारी शनिवार को वेस्टमिंस्टर एब्बे में होने वाले समारोह में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।

इस अवसर पर वह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के तौर पर हालिया परंपरा को ध्यान में रखते हुए कुलुस्सियों की बाइबिल पुस्तक से पढ़ेंगे। ब्रिटेन के झंडे को उच्च श्रेणी की ‘रॉयल एयर फोर्स’ (आरएएफ) के जवानों द्वारा एब्बे में ले जाने के दौरान सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति भी ध्वजवाहकों के एक जुलूस की अगुवाई करेंगे। अक्षता मूर्ति, इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी हैं।

1000 वर्ष से भी पुरानी है परंपरा

सुनक ने ऐतिहासिक घटना की पूर्व संध्या पर एक बयान में कहा, “एब्बे में जहां लगभग एक हजार वर्षों से राजाओं की ताजपोशी होती रही है, हर धर्म के प्रतिनिधि पहली बार केंद्रीय भूमिका निभाएंगे।” उन्होंने कहा, “महाराज चार्ल्स तृतीय और महारानी कैमिला का राज्याभिषेक असाधारण राष्ट्रीय गौरव का क्षण होगा। राष्ट्रमंडल और उससे आगे के दोस्तों के साथ, हम अपने महान राजशाही की स्थायी प्रकृति का जश्न मनाएंगे। कोई अन्य देश ऐसा शानदार प्रदर्शन नहीं कर सकता।” हालांकि, उन्होंने राज्याभिषेक पर जोर देकर कहा, “जून 1953 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की ताजपोशी के बाद 70 वर्षों में पहली बार यह केवल एक चमत्कार नहीं है, बल्कि इतिहास, संस्कृति और परंपराओं की एक गौरवपूर्ण अभिव्यक्ति है।

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