Highlights
- लिज ट्रूस की कुर्सी पर मंडरा रहा खतरा
- सरकार की आर्थिक योजना हुई विफल
- सांसदों ने की पीएम के इस्तीफे की मांग
British PM Liz Truss: ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने बुधवार को खुद को ‘मैदान छोड़कर भागने वाले के बजाय एक यौद्धा’ करार दिया है। उन्होंने यह बयान तब जारी किया है, जब वह खराब आर्थिक योजना को लेकर अपनी ही कंजर्वेटिव पार्टी में कड़े विरोध का सामना कर रही हैं। नव-नियुक्त वित्त मंत्री जेरेमी हंट ने एक महीने से भी कम समय पहले बनी उनकी सरकार के टैक्स कटौती के पैकेज के फैसलों को पलट दिया था। इसके बाद ट्रस ने पहली बार संसद के पहले सत्र में भाग लिया। उन्होंने संसद से माफी मांगी और ब्रिटिश सरकार के प्रमुख के तौर पर अपने छोटे-से कार्यकाल के दौरान की गई गलतियां स्वीकार कीं।
ट्रस जब संसद में बोल रही थीं तो कुछ सांसदों ने चिल्लाकर कहा, ‘इस्तीफा दो।’ विपक्षी लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर ने कहा, ‘वह अब भी यहां क्यों हैं?’ इस पर ट्रस ने जवाब दिया, ‘मैं योद्धा हूं न कि मैदान छोड़कर भागने वाली। मैंने आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय हित में काम किया है।’
सरकार की एक गलती से क्या हुआ?
ट्रस की सरकार ने 23 सितंबर को बिना सोचे-समझे करों में कटौती कर दी और इसका कोई इंतजाम नहीं किया, जिससे वित्तीय बाजारों में तूफान पैदा हो गया और पाउंड की कीमत गिर गई और ब्रिटिश सरकार की उधारी की लागत बढ़ गई। इस संकट को और गहरा होने से रोकने के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड को हस्तक्षेप करना पड़ा था। बेहद अधिक राजनीतिक और आर्थिक दबाव में ट्रस ने पिछले सप्ताह वित्त मंत्री क्वासी क्वार्टेंग के स्थान पर कैबिनेट के अनुभवी नेता हंट की नियुक्ति कर दी। सोमवार को हंट ने ट्रस की महत्वाकांक्षी ऊर्जा नीति के साथ लगभग सभी कर कटौतियों को रद्द कर दिया।
वहीं, विदेश मंत्री जेम्स क्लेवर्ली ने कंजर्वेटिव नेताओं से ट्रस को एक और मौका देने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘गलतियां होती हैं।’ उन्होंने कहा, ‘जब आपको लगता है कि चीजें सही नहीं हुईं, तो आपको उन्हें स्वीकार करना होता है और बदलाव के लिए विनम्रता रखनी होती है।’ बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में ब्रिटेन की महंगाई दर बढ़कर 10.1 प्रतिशत हो गई है, जो 40 साल में सबसे अधिक है।
जनमत सर्वेक्षणों में लेबर पार्टी के लिए समर्थन बढ़ने पर कई कंजर्वेटिव नेताओं को लगता है कि ट्रस को बदलना ही चुनावी मुश्किल से बचने की उनकी एकमात्र उम्मीद है। लेकिन प्रधानमंत्री ने इस्तीफा देने से इनकार किया है और इस बारे में सांसदों की राय बंटी हुई है।