नई दिल्लीः इस वक्त भारत की कूटनीति सबसे सुनहरे दौर में है। यह बात हम नहीं कह रहे, बल्कि पूरी दुनिया मान रही है। वजह साफ है कि इस वक्त हिंदुस्तान की उभरती ताकत ने दुश्मन पाकिस्तान और चीन तक कोहराम मचा रखा है तो वहीं दूसरी तरफ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को उभरता देख अमेरिका से लेकर ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी तक भारत की तारीफ करते नहीं थक रहे। अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी के बाद अब ब्रिटेन ने भी भारत और प्रधानमंत्री मोदी की जमकर तारीफ की है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने भी कहा है कि भारत के कूटनीतिक प्रभाव में इस दौरान अविश्वसनीय रूस से वृद्धि हुई है, जो हिंदुस्तान की बढ़ती ताकत को दर्शाता है।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दुनिया में भारत का डंका बज रहा है। सभी वैश्विक मुद्दों पर भारत अपनी बेबाक राय रखने के लिए जाना जाने लगा है। पूर्व से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक कोई भी देश ऐसा नहीं है, जो भारत के ऊपर दबाव डाल सके और उसकी स्वतंत्र विदेश नीति को प्रभावित कर सके। चीन से लेकर अमेरिका तक को भारत ने हर महत्वपूर्ण मुद्दों पर करारा जवाब दिया है। संयुक्त राष्ट्र संघ और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी भारत विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर दमदारी से अपना पक्ष रखा है। जब बात नीतियों और नैतिकता की आई तो पीएम मोदी ने प्रहार करने में संयुक्त राष्ट्र तक को नहीं बख्शा था और कह दिया था कि अफगानिस्तान व यूक्रेन के मामले पर संयुक्त राष्ट्र को अपनी विफलता स्वीकार करनी चाहिए। इससे पूरी दुनिया अवाक रह गई थी।
भारत ने दुनिया को वक्त-वक्त पर दिया खरा जवाब
इसी तरह रूस-यूक्रेन युद्ध के मामले पर उज्बेकिस्तान के शिखर सम्मेलन में अपने दोस्त पुतिन को भी पीएम मोदी यह कहने से नहीं झिझके कि "यह युग युद्ध का नहीं है, रूस और यूक्रेन को बातचीत के जरिये समस्या का समाधान खोजना चाहिए। " पीएम मोदी के इस बयान की अमेरिका से लेकर रूस और यूक्रेन तक सराहना हुई। इसके बाद जब पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए और भारत पर उससे तेल व प्राकृतिक गैस नहीं लेने का दबाव बनाना शुरू किया तो फिर हिंदुस्तान ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति की ताकत दिखाई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ कह दिया कि रूस भारत का पारंपरिक मित्र है और भारत को अपने देशवासियों के लिए जहां से सस्ता ऊर्जा स्रोत (तेल,प्राकृतिक गैस) मिलेगा, वहां से खरीदेगा। यह भारत का अपना अधिकार भी है। कोई इसके लिए हमें बाध्य नहीं कर सकता। इसी तरह अफगानिस्तान में तालिबानियों के सत्ता पर काबिज होने से खतरे में पड़े लोकतंत्र को देखते हुए दुनिया चुप रही, लेकिन भारत अकेले एक तरफ खड़ा रहकर भी इसका विरोध करता रहा और संयुक्त राष्ट्र को भी खरी-खोटी सुना दी। इसके अलावा भी आतंकवाद के मुद्दे पर जब चीन और अमेरिका ने दोहरा रवैया अपनाया तो भारत ने उन्हें दुनिया के सामने बेइज्जत कर डाला।
ब्रिटेन ने की भारत की कूटनीति की तारीफ
ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने कहा है कि भारत की जी-20 अध्यक्षता ऐसे महत्वपूर्ण समय पर आई है, जब दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध, वैश्विक खाद्य और ऊर्जा आपूर्ति में रूकावट और चीन की आक्रामक कार्रवाइयोंजैसी चुनौतियों का सामना कर रही है। गौरतलब है कि भारत ने पिछले साल एक दिसंबर को जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की थी। क्लेवरली ने कहाकि भारत ने न केवल आर्थिक समृद्धि के क्षेत्र में, अपितु कूटनीतिक के क्षेत्र में महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किया है। हम इससे बहुत खुश हैं। ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि भारत के साथ लंबे समय से चले आ रहे संबंधों पर हमें गर्व है।
क्लेवरली ने रूस यूक्रेन युद्ध के एक वर्ष पूरा होने पर यूक्रेन में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के मकसद से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उच्च स्तरीय परिचर्चा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत को जी-20 की अध्यक्षता एक ऐसे बेहद महत्वपूर्ण समय पर मिली है, जब दुनिया यूक्रेन युद्ध, कोरोना महामारी, आर्थिक मंदी, महंगाई, जलवायु परिवर्तन समेत कई अन्य चुनौतियों का सामना कर रही है और भारत इसका समाधान देने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि वह जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए अगले हफ्ते दिल्ली पहुंच रहे हैं।
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