Sunday, January 05, 2025
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ब्रिटेन की संसद देगी मरने का अधिकार, लोग भी समर्थन में आ गए सड़क पर; जानें क्या है ये बिल

ब्रिटेन की संसद एक अजीबोगरीब कानून को लेकर चर्चा में है। ब्रिटिश संसद ने मरने का अधिकार देने के विधेयक पर वोटिंग की है। जिस पर संसद पूरी तरह बंटी हुई है, लेकिन ज्यादातर सांसद बिल के पक्ष में हैं। लोगों का भी इसे समर्थन मिल रहा है।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Nov 30, 2024 11:22 IST, Updated : Nov 30, 2024 11:22 IST
ब्रिटेन में मौत का अधिकार देने वाले बिल के समर्थन में आए लोग।
Image Source : AP ब्रिटेन में मौत का अधिकार देने वाले बिल के समर्थन में आए लोग।

लंदनः ब्रिटेन की संसद इन दिनों एक अजीबोगरीब कानून पर संसद में वोटिंग के चलते चर्चा में है। यह कानून लोगों को स्वेच्छा से मरने का अधिकार देगा। इसे यूके का "असिस्टेड डाइंग बिल" नाम दिया गया है। कहा जा रहा है कि यह बिल वास्तविकता के करीब उठाया जाने वाला एक बड़ा कदम है। ज्यादातर सांसदों ने इस बिल के पक्ष में मतदान किया। वहीं काफी संख्या में इसके खिलाफ भी वोट पड़े। जाहिर है कि इस मुद्दे सांसद गहराई से विभाजित हैं। हालांकि उन्हें पार्टियों की तर्ज पर बिना किसी बाधा के स्वतंत्र वोट देने का मौका दिया गया था। ब्रिटेन की जनता भी इस बिल के पक्ष में समर्थन करने सड़क पर उतर आई है। 

जनता भी स्वेच्छा से मरने का अधिकार मांग रही है। मगर सवाल यही है कि लोग स्वेच्छा से मरना क्यों चाहते हैं? आप भी सोच रहे होंगे कि यह तो अजीबोगरीब कानून है, जो लोगों की खूबसूरत जिंदगी को खत्म करने को बढ़ावा देगा। मगर ऐसा बिल्कुल नहीं है। यह कानून सिर्फ उन लोगों के लिए है, जो बूढ़े या किसी ऐसी गंभीर बीमारी के कारण दर्द में हैं, जो लाइलाज है और उनके जीने के बचे दिन भयानक कष्टों में ही गुजरने वाले हैं। सिर्फ ऐसे लोगों को ही यह बिल मरने का अधिकार देगा। 

हाउस ऑफ कॉमन्स में पड़े वोट

ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स के संसद सदस्यों ने शुक्रवार को इस विधेयक के पक्ष में मतदान किया ,जो इंग्लैंड और वेल्स में छह महीने से कम समय में बीमार वयस्कों को उचित कानून के तहत चिकित्सा सहायता के साथ मरने का अधिकार प्रदान करेगा। टर्मिनली इल एडल्ट्स (जीवन का अंत) विधेयक अब कानून बनने से पहले हाउस ऑफ लॉर्ड्स द्वारा संशोधन की एक लंबी प्रक्रिया से गुजर सकता है, क्योंकि बिल के पक्ष में 330 वोट और विपक्ष में 275 वोट मिले।

पीएम कीर स्टार्मर और पूर्व पीएम ऋषि सुनक ने भी पक्ष में दिया वोट

प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर और पूर्व पीएम ऋषि सुनक ने भी इस विधेयक के पक्ष में मतदान किया। कीर स्टार्मर के प्रवक्ता ने कहा, "देश भर के लोग आज के मतदान पर बेहद बारीकी से ध्यान देंगे, लेकिन यह विवेक का मामला है।" कानून में यह भी प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति घातक दवा को किसी को जबरन लेने के लिए मजबूर करता है या उसे मरने को कहता है तो उसे अधिकतम 14 साल की जेल की सजा हो सकती है। 

कैसा होगा विधेयक 

पक्ष में मतदान करने वाले सांसदों ने कहा कि इस बिल में "सबसे मजबूत सुरक्षा उपाय" शामिल हैं। विधेयक में निर्णय के लिए दो स्वतंत्र डॉक्टरों की मंजूरी शामिल है। साथ ही इसमें उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी होंगे। संबंधित व्यक्ति को स्वयं दवाएं लेनी होंगी। पूर्व प्रधान मंत्री डेविड कैमरन व ऋषि सुनक भी इस बात से सहमत हैं कि जो लोग पीड़ा में हैं और आसन्न मृत्यु का सामना कर रहे हैं, उनके पास अपने दर्द को कम करने का विकल्प होना चाहिए। वहीं सुएला ब्रेवरमैन विरोध में मतदान करने वालों में शामिल रहीं। 

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