Emmanuel Macron: फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों जबसे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करके आए हैं, उनके सुर बदले हुए हैं। पहले जहां उन्होंने यह बयान देकर सनसनी फैला दी थी कि यूरोप को अमेरिका का पिछलग्गू नहीं बनना चाहिए। वहीं अब उन्होंने ताइवान पर दिए अपने बयान का ही बचाव किया है। हालांकि वे अपने पूर्व में दिए गए बयान पर ही कायम हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका का दोस्त होने का मतलब ‘जागीरदार‘ होना नहीं है।
दरअसल, फ्रांस के राष्ट्रपति नीदरलैंड्स के दौरे पर गए हुए हैं। इस दौरान उन्होेंने वहां अपने वक्तव्य में कहा कि सहयोगी देश होने का मतलब जागीरदार होना नहीं होता है। उन्हांेने एक बार फिर कहा कि फ्रांस वन चाइना पॉलिसी का समर्थक है, लेकिन चाहता है कि इस इलाके में स्थिति का शांतिपूर्ण तरीके से हल निकाला जाए।
अमेरिका ने मैक्रों के बयान को नहीं दी तवज्जो
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के बयान को व्हाइट हाउस ने ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया है। व्हाइट हाउस ने कहा कि ‘बाइडन प्रशासन फ्रांस के साथ द्विपक्षीय संबंधों में सहज है और दोनों देशों के रिश्तों पर भरोसा है। जबकि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मैक्रों के हालिया बयान के बाद उन पर चीन के साथ सांठगांठ करने का अरोप मढ़ दिया। ट्रंप ने कहा कि मेरे दोस्त आजकल चीन की चाटुकारिता कर रहे हैं। वहीं मैक्रों ने इन टिप्पणियों पर जवाब देने से इनकार कर दिया। इस बीच चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने मैक्रों की टिप्पणी की तारीफ की है।