Friday, January 03, 2025
Advertisement
  1. Hindi News
  2. विदेश
  3. यूरोप
  4. तीन महीने के अंदर गिर गई बार्नियर सरकार, फ्रांस में 60 साल में पहली बार हुआ ऐसा

तीन महीने के अंदर गिर गई बार्नियर सरकार, फ्रांस में 60 साल में पहली बार हुआ ऐसा

फ्रांस में इसी साल गर्मी में चुनाव हुए थे, जिनमें किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। इसके बाद बार्नियर सरकार बनाने में सफल रहे, लेकिन तीन महीने के अंदर उनकी सरकार गिर गई।

Edited By: Shakti Singh
Published : Dec 05, 2024 7:57 IST, Updated : Dec 05, 2024 7:57 IST
Michel Barnier
Image Source : AP मिशेल बार्नियर

फ्रांस में मिशेल बार्नियर की अगुआई वाली सरकार तीन महीने के अंदर ही गिर गई है। बुधवार को सांसदों ने प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर के खिलाफ वोट किया और अब उन्हें अपना इस्तीफा राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को सौपना होगा। फ्रांस में साठ साल में पहली बार नेशनल असेंबली के निचले सदन ने सरकार को गिराने का प्रस्ताव पास किया है और अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दी है। बार्नियर की अगुआई वाली सरकार के खिलाफ अविस्वास प्रस्ताव कट्टर वामपंथियों ने दिया था, लेकिन मरीन ले पेन की अगुआई में राइट विंग ने भी इसे पूरा समर्थन दिया। 577 सदस्यीय सदन में 331 सांसदों के बहुमत ने सरकार को हटाने के लिए मतदान किया।

फ्रांस में इसी साल गर्मी में चुनाव हुए थे, जिनमें किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। इसके बाद बार्नियर सरकार बनाने में सफल रहे, लेकिन तीन महीने के अंदर उनकी सरकार गिर गई। अब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के सामने एक उत्तराधिकारी चुनने का कठिन विकल्प है, जबकि उनका राष्ट्रपति कार्यकाल दो वर्ष से अधिक बचा हुआ है।

मैक्रों को इस्तीफा सौंपेंगे बार्नियर

नेशनल असेंबली में अगले वर्ष के लिए खर्च में कटौती वाले बजट पर गतिरोध के बीच कट्टर वामपंथियों ने अविस्वास प्रस्ताव पेश किया। चर्चा के बाद इसे पास किया गया। इससे पहले प्रधानमंत्री ने सोमवार को सामाजिक सुरक्षा वित्तपोषण विधेयक को बिना मतदान के ही पारित करा लिया था। स्पीकर येल ब्राउन-पिवेट ने पुष्टि की कि बार्नियर को अब मैक्रों को "अपना इस्तीफा सौंपना होगा" और उन्होंने सत्र को समाप्त घोषित कर दिया।

एक साल तक नहीं हो सकते चुनाव

मैक्रों सऊदी अरब की अपनी तीन दिवसीय राजकीय यात्रा समाप्त करने के बाद मतदान से ठीक पहले ही पेरिस लौटे थे। बुधवार को उन्होंने राज्य की एक प्रतिष्ठित पर्यटन परियोजना अल-उला ओएसिस की रेगिस्तानी रेत पर सैर की और प्राचीन स्थलों को देखा। वापस आने के बाद, वे सीधे एलीसी पैलेस पहुंचे। मंगलवार को मैक्रों ने कहा था कि पेन की पार्टी का प्रस्ताव का समर्थन करना काफी निराशावादी रवैया रहा। नियम के अनुसार फ्रांस में एक चुनाव के बाद अगले अगले एक साल तक कोई नया चुनाव नहीं कराया जा सकता, जिससे मैक्रों के विकल्प सीमित हो जाएंगे।

मैक्रों को इस्तीफा देने का सुझाव

संसद में दक्षिणपंथी प्रतिनिधियों के प्रमुख लॉरेंट वाउकीज ने कहा कि अति-दक्षिणपंथी और कट्टर वामपंथी दल अविश्वास प्रस्ताव के लिए जिम्मेदार हैं, जो "देश को अस्थिरता की ओर ले जाएगा।" कुछ लोगों ने सुझाव दिया है कि गतिरोध को तोड़ने के लिए मैक्रों को स्वयं इस्तीफा दे देना चाहिए। लेकिन मैक्रों ने इन आह्वानों को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा परिदृश्य "राजनीतिक कल्पना" के समान है। मैक्रों ने सऊदी अरब की अपनी यात्रा के दौरान कहा, "सच कहूं तो ऐसी बातें कहना उचित नहीं है।"

सिविल सेवकों ने हड़ताल का ऐलान किया

कट्टर वामपंथी सांसद एरिक कोकरेल ने कहा कि बार्नियर के खिलाफ प्रस्ताव "इमैनुएल मैक्रों के जनादेश की मौत की घंटी" है। बाजारों में घबराहट है और फ्रांस में सार्वजनिक क्षेत्र की हड़ताल की आशंका है, क्योंकि कटौती के कारण स्कूल बंद हो जाएंगे और हवाई तथा रेल यातायात प्रभावित होगा, ऐसे में संकट की भावना बढ़ रही है। यूनियनों ने शिक्षकों और हवाई यातायात नियंत्रकों सहित सिविल सेवकों से ठंड में अपने-अपने मंत्रालयों द्वारा प्रस्तावित अलग-अलग लागत-कटौती उपायों के विरोध में गुरुवार को हड़ताल करने का आह्वान किया है।

मैक्रों को हटाने की कोशिश

इस बीच, मैक्रों शनिवार को एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम की मेजबानी करने वाले हैं, जिसमें 2019 की आग के बाद नोट्रे-डेम कैथेड्रल को फिर से खोला जाएगा, जिसमें डोनाल्ड ट्रंप भी शामिल होंगे, जो अगले अमेरिकी राष्ट्रपति चुने जाने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर हैं। कुछ पर्यवेक्षकों ने कहा कि 56 वर्षीय ले पेन बार्नियर को हटाकर मैक्रों को उनका कार्यकाल समाप्त होने से पहले गिराने की कोशिश कर रही हैं।

ये हैं प्रधानमंत्री बनने के दावेदार

ले पेन एक हाई-प्रोफाइल गबन मुकदमे में उलझी हुई हैं। अगर मार्च में उन्हें दोषी पाया जाता है, तो उन्हें फ्रांस के अगले राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने से रोका जा सकता है। लेकिन अगर मैक्रों जल्दी ही पद छोड़ देते हैं, तो एक महीने के भीतर चुनाव कराना होगा। इस स्थिति में उनके मामले पर फैसला आने से पहले चुनाव होंगे और वह चुनाव लड़ सकेंगी। प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार बहुत कम हैं, लेकिन वफादार रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकॉर्नु और मैक्रों के मध्यमार्गी सहयोगी फ्रेंकोइस बायरू संभावित दावेदार हैं।

जल्द से जल्द नया प्रधानमंत्री चाहते हैं मैक्रों

मैक्रों पूर्व समाजवादी प्रधानमंत्री और आंतरिक मंत्री बर्नार्ड कैज़ेनुवे की ओर रुख कर सकते हैं। कई सूत्रों ने बताया कि मैक्रों जल्द से जल्द नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति करना चाहते हैं। यह 1962 में जॉर्जेस पोम्पिडो की सरकार की हार के बाद पहला सफल अविश्वास प्रस्ताव था, जब चार्ल्स डी गॉल राष्ट्रपति थे। बार्नियर की सरकार का कार्यकाल 1958 में पांचवें गणतंत्र के शुरू होने के बाद से किसी भी प्रशासन के मुकाबले सबसे छोटा है।

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Europe News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement