Food Crisis: रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। लेकिन इसी बीच अनाज समझौते में रुकावट के चलते संयुक्त राष्ट्र के खाद्य कार्यक्रम पर काफी असर पड़ा है। यूक्रेन से खाद्यान्न को अफ्रीका, पश्चिम एशिया तथा एशिया के देशों में निर्यात करने के लिए हुए ऐतिहासिक समझौते में रुकावट आने के कारण संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी का काम प्रभावित हो रहा है। इस वजह से संकटग्रस्ट देशों में मदद पहुंचाने में दिक्कतें आ रही हैं।
विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के उप कार्यकारी निदेशक कार्ल एस ने कहा, ‘अब हमें अनाज के लिए किसी और देश से मदद लेनी होगी। हम नहीं जानते कि बाजार की क्या स्थिति रहती है लेकिन खाद्य पदार्थ की कीमतों में वृद्धि होगी।’ डब्ल्यूएफपी ने मंगलवार को बजट में कटौती का हवाला देते हुए जॉर्डन में दो शिविरों में रह रहे 1,20,000 सीरियाई शरणार्थियों के लिए हर माह दी जाने वाली नकद सहायता राशि को कम करना शुरू कर दिया, जिससे शरणार्थी और जॉर्डन के अधिकारी परेशान हैं।
जॉर्डन के शरणार्थियों को मिलने वाली मदद होगी कम
एजेंसी ने कहा कि वह जॉर्डन में 50,000 शरणार्थियों को दी जाने वाली मदद में धीरे-धीरे कटौती करेगी। जॉर्डन में सीरियाई शरणार्थियों ने इस खबर पर निराशा जतायी है क्योंकि वे अभी नौकरी तथा महंगाई से संघर्ष कर रहे हैं। अम्मान में एक सीरियाई शरणार्थी खदीजा महमूद ने कहा, ‘इस फैसले ने हमारी जिंदगियां बर्बाद कर दी है।
हम अपार्टमेंट का किराया, बिजली का बिल, पानी का बिल कैसे चुकाएंगे? हमारी इतनी क्षमता नहीं है।’ दरअसल, रूस ने ‘काला सागर खाद्यान्न समझौते’ से कदम पीछे खींच लिए है। यह समझौता खाद्यान्न संकट से निपटने के लिए यूक्रेन से अनाज का सुरक्षित निर्यात सुनिश्चित कर रहा था।