Highlights
- कुपियांस्क को दो भागों में विभाजित करने वाली नदी के पुल को रूस ने उड़ाया
- आधे कुपियांस्क शहर पर यूक्रेनी सैनिकों ने किया कब्जा
- स्थानीय नागरिकों ने बताई रूस के कब्जे के दौरान की दास्तां
Russia-Ukraine War Update: यूक्रेन के वॉर जोन से रूस के लिए एक और हताशा भरी खबर सामने आ रही है। यूक्रेनी सैनिकों ने रूस को खार्कीव से बाहर करने के बाद अब अपने दूसरे महत्वपूर्ण शहर कुपियांस्क से भी बेदखल कर दिया है। यूक्रेनी सैनिकों की बहादुरी देख रूस के सैनिक अपने टैंक भी छोड़ गए हैं। हालत यह है कि अब रूस के टैंकों को यूक्रेन के सैनिक दौड़ा रहे हैं। यह देखकर कुपियांस्क में बसे यूक्रेनियन भी संशय में पड़ गए। पहले उन्होंने रूसी टैंक देखा तो घबराए, लेकिन उसे अपने सैनिकों को चलाता देखकर राहत की सांस ली।
पिछले दो-तीन हफ्ते से यूक्रेन ने रूसी सैनिकों की हालत खराब कर दी है। अब वह यूक्रेन के शहरों को एक के बाद एक छोड़कर वापस लौट रहे हैं। इससे रूस को करारा झटका लगा है। अब युद्ध में यूक्रेनी सैनिक रूस पर भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं। यह देख दुनिया भी हैरान है। करीब सात माह से चल रहे युद्ध में यूक्रेनी सैनिकों ने बहादुरी से रूस का सामना किया है।
फ्रंटलाइन नदी पर दोनों देशों के सैनिक फ्रंट पर
यूक्रेनी शहर कुपियांस्क के मध्य क्षेत्र ओस्किल से होकर गुजरने वाली फ्रंटलाइन नदी पर अब नजारा यह है कि एक तरफ यूक्रेनी सैनिक हैं और दूसरी तरफ रूस के। इस महीने व्यापक जवाबी कार्रवाई के दौरान यूक्रेन ने अपने पूर्वोत्तर खार्कीव क्षेत्र से रूसी दुश्मनों को लगभग पूरी तरह बाहर कर दिया है।
स्थानीय नागरिकों ने बताई रूस के कब्जे के दौरान की दास्तां
कुपियांस्क शहर से रूसी सैनिकों का कब्जा बेदखल करने के बाद अब स्थानीय यूक्रेनी राहत की सांस ले रहे हैं। हालांकि उन्हें इसकी कभी उम्मीद भी नहीं थी कि ऐसा भी हो पाएगा। अपने बेडरूम की खिड़की से खड़ी होकर 26 वर्षीय लिज़ा उडोविक बताती हैं कि यहां अब एक तरफ यूक्रेनी सैनिक हैं और दूसरी तरफ का एक दृश्य है, जहां रूसी पीछे हट गए हैं। पिछले कुछ दिनों में जब यूक्रेन की सेना कुपियांस्क से चली गई और शहर युद्ध का मैदान बन गया। यहां रूसी सैनिकों का कब्जा हो गया था। आग के गोलों ने लिजा के अपार्टमेंट को भी हिला दिया दिया था। हालांकि वही रूसी टैंक और बख्तरबंद वाहन अभी भी सड़कों पर गश्त करते हैं, लेकिन उन्हें अब यूक्रेनियन चला रहे हैं। रूसियों के छोड़े गए हथियारों का उपयोग भी अब यूक्रेन के सैनिक कर रहे हैं। लिजा ने मुस्कुराते हुए कहा कि अब रूसी सैनिकों को पीछे धकेला जा रहा है।
रूसियों के लिए जब ढाल बना ओस्किल
नौ सितंबर के दिन जैसे ही यूक्रेनी सैनिक कुपियांस्क में रूसियों के नजदीक पहुंचे, तब रूस ने ओस्किल की फ्रंटलाइन नदी पर बने पुल को ढाल के तौर पर इस्तेमाल किया। जब रूस के बख्तरबंद वाहन पुल को पार हो गए तो उन्होंने कीव की गति को कम करने और यूक्रेनी सैनिकों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए पुल को ही उड़ा दिया। इससे अब एक तरफ रूसी सैनिक हैं तो दूसरी तरफ यूक्रेनी हैं। इस तरह कुपियांस्क अचानक अपने दूसरे भाग से कट गया। अगले दिन 55 वर्षीय लीना डैनिलोवा ने शहर की सड़कों पर यूक्रेनी वाहनों को चलाते हुए भ्रम की स्थिति में देखा। उसके बगल में एक आदमी ने उसकी आस्तीन को खींच लिया, जो अब क्षेत्र में गश्त कर रहे सैनिकों पर अलग-अलग वर्दी की ओर इशारा कर रहा था। वह कह रहा था कि"देखो, ये हमारे लड़के हैं," वह उससे फुसफुसाया। डेनिलोवा ने कहा यह सुनकर उसने अपनी खुशी के आंसू पोछे, लेकिन जब ये अहसास हुआ कि उसके दो बच्चे नदी के दूसरी ओर फंस गए हैं। जो कुछ दिन पहले ही वहां के एक स्कूल में पढ़ने गए थे। तो वह दुखी हो उठी। अब यह वह रेखा है जहां रूसी सैनिक यूक्रेन को आगे दक्षिण में उसके कब्जे वाले डोनेट्स्क और लुहान्स्क क्षेत्रों में रोकने के लिए बेताब हैं।
रूस ने तीन दिनों में बिना लड़े कर लिया था कुपियांस्क पर कब्जा
जिस कुपियांस्क पर अब यूक्रेनी सैनिक पुनः हावी हो रहे हैं। वहां युद्ध के आरंभकाल में रूस ने केवल तीन दिनों में ही बिना लड़ाई लड़े कब्जा कर लिया था। इससे यह शहर कम से कम रूसी बमबारी से बच गया था। अब यहां के लोग युद्ध की कुछ भयावहताओं का सामना कर रहे हैं जो अन्य यूक्रेनियन महीनों पहले झेलते थे। उन्होंने इंतजार किया और यूक्रेन के मुक्त होने की उम्मीद की। अब वह सच होता दिख रहा है। कई स्थानीय नागरिकों ने कहा, लेकिन उन्होंने कल्पना नहीं की थी कि यह ऐसा होगा। क्योंकि हर तरफ से रूसी गोलाबारी का खतरा था। शहर में कोई न तो उन्हें बचाने वाली शक्ति थी और न ही दवाएं और न तो अन्य बुनियादी जरूरतों की वस्तुएं प्राप्त करने का कोई रास्ता।
कुपियांस्क में कुछ लोग रूस के समर्थक
रूस के कब्जे के दौरान क्या हुआ। इस बारे में लोग कहते हैं कि आबादी का एक हिस्सा यहां मास्को के प्रति सहानुभूति रखता है। यदि रूसी सैनिक फिर लौटते हैं तो पड़ोसी अपने पड़ोसियों को सूचित कर सकते हैं। उडोविक ने बताया कि इस वजह से उनका अपना ही परिवार टूट गया। घर के बाहर रूसी झंडा टांगने के बाद उसकी दादी ने अपनी बहन से बात करना बंद कर दिया। क्योंकि वह यूक्रेन की समर्थक थी।
कुपियांस्क के मेयर ने रूस के हवाले कर दिया था शहर
27 फरवरी को जब रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया और वह कुपियांस्क पहुंचे। तो बिना किसी युद्ध के तीन दिनों में ही कुपियांस्क के मेयर गेन्नेडी मात्सेगोरा ने फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए स्वीकार किया कि उन्होंने शहर को रूसी सेना के हवाले कर दिया है। मात्सेगोरा यूक्रेन की रूसी समर्थक पार्टी के सदस्य थे। शनिवार को सुबह 7:30 बजे एक रूसी बटालियन के एक कमांडर ने जब बातचीत का प्रस्ताव रखने के लिए बुलाया तो उन्होंने कहा। "अगर मना कर दिया जाता है, तो शहर में तबाही का तूफान आ जाएगा। मैंने शहर में हताहतों और विनाश से बचने के लिए वार्ता में भाग लेने का फैसला किया है। यूक्रेनी देशभक्त उडोविक ने कहा कि मात्सेगोरा को लगभग निश्चित रूप से देशद्रोही माना जाएगा। लेकिन उसकी अपनी भावनाएं जटिल हैं। उन्होंने कहा कि मात्सेगोरा के निर्णय ने उस वक्त नागरिकों की शायद जान बचाई। "हमने इन विस्फोटों को नहीं सुना जो हम अभी सुनते हैं। शुरुआत में यह शांति थी, लेकिन हम जानते थे कि आखिरकार, यह सब शुरू हो जाएगा।
रूस ने जबरन नागरिकों पर बनाया था दबाव
रूसियों ने कुपियांस्क को अपने कब्जे वाली सरकार की सीट के रूप में इस्तेमाल किया। एक प्रचार रेडियो स्टेशन, जिसे "खार्किव-जेड" कहा जाता है - "जेड" अक्षर स्थानीय दुकानों के माध्यम से रूसी सेना का प्रतीक बन गया। यहां के निवासी तब केवल रूस को कॉल कर सकते थे। औपचारिक विलय के बिना भी, शहर रूस में इतना एकीकृत हो गया कि उडोविक ने उत्तर कोरियाई सीमा के पास सुदूर पूर्व रूसी शहर व्लादिवोस्तोक में एक रिश्तेदार के यहां दौरा किया। तो मास्को में अधिकारियों ने विज्ञापन दिया कि कुपियांस्क के लोग रूसी पासपोर्ट प्राप्त कर सकते हैं। डैनिलोवा ने कहा कि उन्हें अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए मजबूर किया गया था। हालांकि उन्हें पता था कि वहां रूसी पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। मगर लोगों को धमकी दी गई थी कि ऐसा नहीं करने पर उनके माता-पिता के अधिकारों से वंचित कर दिया जाएगा। रात आठ बजे ही कर्फ्यू लग जाता था। इस दौरान जो भी पकड़ा जाता, उसके गायब कर दिए जाने की अफवाहें भी थीं।