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नीरव मोदी को झटका, ब्रिटिश अदालत ने भारत के सबूतों को किया स्वीकार

भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की कार्यवाही की सुनवाई कर रहे ब्रिटिश न्यायाधीश ने मंगलवार को फैसला दिया कि भगोड़े हीरा कारोबारी के खिलाफ धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का प्रथम दृष्टया मामला स्थापित करने के लिए भारतीय अधिकारियों द्वारा पेश सबूत व्यापक रूप से स्वीकार्य हैं। 

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 04, 2020 18:27 IST
UK court admits evidence by CBI, ED against Nirav Modi in extradition trial- India TV Hindi
Image Source : FILE UK court admits evidence by CBI, ED against Nirav Modi in extradition trial

लंदन: भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की कार्यवाही की सुनवाई कर रहे ब्रिटिश न्यायाधीश ने मंगलवार को फैसला दिया कि भगोड़े हीरा कारोबारी के खिलाफ धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का प्रथम दृष्टया मामला स्थापित करने के लिए भारतीय अधिकारियों द्वारा पेश सबूत व्यापक रूप से स्वीकार्य हैं। जिला न्यायाधीश सैमुअल गूजी ने यहां वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पेश कुछ गवाहों के बयानों की स्वीकार्यता के खिलाफ और पक्ष में दलीलें सुनीं।

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दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने कहा कि वह अपने आपको किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व प्रमुख विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामले में ब्रिटिश अदालतों के फैसलों से बंधा हुआ मानते हैं। इसके साथ ही नीरव के भारत प्रत्यर्पण की संभावनाएं बढ़ गई हैं। नीरव मोदी को 1 दिसंबर तक रिमांड में भेज दिया गया है। दोनों पक्ष 7 और 8 जनवरी को अंतिम बहस करेंगे और 2021 में इसके कुछ हफ्ते बाद फैसला आने की उम्मीद है।

नीरव मोदी के वकील क्लेयर मॉन्टगोमेरी क्यूसी ने मामले की सुनवाई के दौरान पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी रवि शंकरन के साथ तुलना करके भारत की दलीलों पर काउंटर अटैक करने की कोशिश की। रवि शंकरन अब एक हथियार डीलर है, जो ब्रिटेन में है और उसका प्रत्यर्पण भी होना बाकी है।

कड़े विरोध के बावजूद डिस्ट्रिक्ट जज सैमुअल मार्क गूजी ने विजय माल्या के मामले में निर्णय के अनुसार फैसला करना तय किया, जिसमें कहा गया है कि धारा 161 के तहत भारत की अदालत में दिया गया बयान ब्रिटेन की अदालत में मान्य है।

नीरव मोदी अनुमानित 13,500 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी घोटाले के मुकदमे का सामना करने के लिए भारत में वांछित है। 49 वर्षीय नीरव ने कोर्ट का कार्यवाही दक्षिण-पश्चिम लंदन के वैंड्सवर्थ जेल से वीडियोलिंक के जरिए देखी, जहां वह मार्च 2019 से बंद है।

क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने भारतीय अधिकारियों की ओर से बहस करते हुए जोर दिया कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 के तहत गवाह के बयान सहित साक्ष्य ब्रिटिश कोर्ट को यह निर्धारित करने के लिए आवश्यक सीमा को पूरा करते हैं कि नीरव मोदी का भारतीय न्याय व्यवस्था के समक्ष जवाब देने का मामला बनता है या नहीं। इसने दलील दी कि पीएनबी के कई कर्मचारियों ने नीरव मोदी के साथ मिलकर 'लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग' (एलओयू) के लिए साजिश रची थी।

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