स्टॉकहोम: चीन के शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिमों की जिंदगी दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। तमाम रिपोर्ट्स में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि चीन ने उइगर मुस्लिमों की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान मिटाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है, और अब वह उन्हें हर शुक्रवार को सूअर का मांस खाने को मजबूर कर रहा है। इस बात का खुलासा किसी और ने नहीं, बल्कि खुद एक उइगर मुस्लिम सयारगुल सौतबे ने अलजजीरा को दिए एक इंटरव्यू में किया है। उन्होंने कहा कि यदि कोई मुसलमान सूअर का मांस खाने से मना करता है तो उसे कड़ी सजा दी जाती है।
‘इनकार करने पर दी जाती है कड़ी सजा’
अलजजीरा को दिए इंटरव्यू में सयारगुल ने कहा, 'हमें हर शुक्रवार सूअर का मांस खाने के लिए मजबूर किया जाता है। उन्होंने जानबूझकर शुक्रवार को चुना है क्योंकि यह मुसलमानों के लिए बेहद पाक दिन होता है। यदि आप ऐसा करने से इनकार करते हैं तो आपको कड़ी सजा दी जाती है।' बता दें कि सयारगुल स्वीडन में डॉक्टर और टीचर हैं। उन्होंने हाल ही में एक किताब प्रकाशित की है जिसमें उन्होंने अपने साथ हुई ज्यादतियों का जिक्र किया है। बता दें कि चीन ने हाल ही में शिनजियांग में सूअर पालन को काफी बढ़ावा भी दिया है।
‘जिंदा रहने के लिए खाते हैं सूअर का मांस’
ऐसी ही एक महिला बिजनसमैन जुमरेत दाउत हैं। जुमरेत को मार्च 2018 में उरुमेकी में पकड़ा गया था और दो महीने तक उनसे केवल पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर पूछताछ होती रही थी। पाकिस्तान जुमरेत के पति का देश था। उन्होंने बताया कि चीनी अधिकारियों ने पूछताछ के दौरान उनके बच्चों की संख्या, धर्म और कुरान के पढ़ने के बारे में जानकारी मांगी थी। जुमरेत ने भी कहा कि उइगर मुस्लिमों के शिविर में सूअर का मांस परोसा जाता है। उन्होंने कहा, 'जब आप यातना सिविर में होते हैं तब आप यह तय नहीं कर सकते कि क्या खाना है और क्या नहीं खाना है। जिंदा रहने के लिए हमें जो मांस दिया जाता है, हमें खाना पड़ता है।'