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अंकारा: तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन इन दिनों फ्रांस में बने उत्पादों के बहिष्कार का समर्थन कर रहे हैं। इसके अलावा वह कई अन्य मोर्चों पर भी मुस्लिमों से जुड़ी चीजों में खुद को आगे दिखाने की कोशिश करते रहे हैं। माना जा रहा है कि एर्दोगन ये सारे जतन खुद को सुन्नी इस्लाम के बड़े नेता के तौर पर स्थापित करने के लिए कर रहे हैं। फ्रांस के मामले में तो वह दो कदम आगे ही बढ़ गए और उन्होंने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को अपने दिमाग की जांच तक करवाने की सलाह दे दी थी। यही नहीं, उन्होंने सरकारी टीवी पर आकर भी फ्रांस में बने उत्पादों का बहिष्कार करने की अपील की थी।
ग्रीस के समर्थन को लेकर भी फ्रांस पर भड़के थे एर्दोगन
इससे पहले भी एर्दोगन के फ्रांस के साथ रिश्ते कुछ अच्छे नहीं रहे हैं। ग्रीस का समर्थन करने और भूमध्य सागर में फ्रांस की सेना की तैनाती पर भी एर्दोगन ने जमकर भड़ास निकाली थी। उन्होंने कहा था कि इस इलाके में फ्रांसीसी सेना की तैनाती युद्ध भड़का सकती है। पिछले कुछ समय से तुर्की और ग्रीम में भारी तनाव की स्थिति है और कई विशेषज्ञों का मानना है कि देर-सबेर इन दोनों देशों में युद्ध भी छिड़ सकता है। ग्रीस के अलावा भी तुर्की अपनी हरकतों से अपने दुश्मनों की संख्या में इजाफा करता जा रहा है।
भूमध्य सागर पर कब्जे का भी है प्लान
एर्दोगन भूमध्य सागर पर कब्जे का भी प्लान कर रहे हैं ताकि वहां के गैस और तेल से भरे भंडारों का भरपूर दोहन किया जा सके। यही वजह है कि तुर्की के जहाज कभी ग्रीम तो कभी साइप्रस की समुद्री सीमा में घुसकर तेल खोजने की कोशिश कर रहे हैं। इसी को लेकर तुर्की और ग्रीस में बवाल चल रहा है, और लगातार जंग के हालात बनते जा रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ एर्दोगन खुद को मुसलमानों का मसीहा बनाना चाहते हैं और पूरी दुनिया में कुछ भी होता है तो वह उस मामले में मुसलमानों का पक्ष लेकर कूद पड़ते हैं। अब देखना यह है कि मुसलमानों का मसीहा बनने की एर्दोगन की इस चाहत की तुर्की को क्या कीमत चुकानी पड़ती है।