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तुर्की में तख्तापलट का 'धर्मगुरु' कनेक्शन, आधी रात के गदर की इनसाइड स्टोरी

इस्तांबुल: बीती रात तुर्की जलने लगा, सड़कों पर टैंक उतर गए और चारों तरफ़ ख़ूनख़राबा शुरु हो गया। लेकिन कुछ घंटों के क़त्लेआम के बाद जनता ने तानाशाही शक्तियों को उखाड़ फेंका। लोकतंत्र को कुचलकर

India TV News Desk
Updated on: July 17, 2016 11:29 IST
turkey- India TV Hindi
turkey

इस्तांबुल: बीती रात तुर्की जलने लगा, सड़कों पर टैंक उतर गए और चारों तरफ़ ख़ूनख़राबा शुरु हो गया। लेकिन कुछ घंटों के क़त्लेआम के बाद जनता ने तानाशाही शक्तियों को उखाड़ फेंका। लोकतंत्र को कुचलकर तख्तापलट की कोशिश करने वाले सभी बगावती जवानों को सलाखों के पीछे डाल दिया गया है। ये सब ऐसे देश में हुआ जिसकी पहचान वहां का लोकतंत्र है अब सवाल था कि तख्तापलट की साज़िश किसने रची। ख़बरों के मुताबिक इस बगावत के पीछे उस धर्मगुरु का हाथ था, जो अमेरिका में निर्वासित ज़िंदगी बिता रहा है।

आधी रात के गदर की इनसाइड स्टोरी

सरकारी चैनल और न्यूज़ चैनल्स के दफ्तरों पर तख्तापलट की कोशिश करने वाले बाग़ी फौज़ियों ने कब्जा कर लिया और बकायदा टेलीविज़न चैनल से बगावत का ऐलान कर दिया। आर्मी ने सत्ता पर कब्जा कर मार्शल लॉ लागू करने का दावा किया। बाग़ियों के निशाने पर प्रेसिडेंट रैचेप तैयाप एर्दोआन थे। उनके घर के पास बम बरसाए गए लेकिन कुछ ही घंटों में सेना के बाग़ी गुट की तख़्तापलट की कोशिश नाकाम हो गई। तख्तापलट की कोशिश करने वालों के हाथों से बाज़ी पलट गई। राष्ट्रपति टेलीविज़न पर सामने आए और ऐलान किया कि देश की कमान उन्हीं के पास है।

सैन्य तख्तापलट के प्रयास को नाकाम करने और इस घटना में कम से कम 265 लोगों के मारे जाने के दावे के बीच तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के समर्थन में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। 754 बाग़ी सैनिकों ने इस्तांबुल और अंकारा में सरेंडर कर दिया लेकिन सबसे हैरतअंगेज़ सच तो ये है कि तुर्की के राष्ट्रपति की अपील को जनता ने भी हाथों-हाथ लिया। इस तरह टर्की के समय के मुताबिक शाम 7.30 बजे शुरु हुई तख्तापलट की कोशिश रात 11 बजते-बजते नाकाम हो गई।

तख़्तापलट का धर्मगुरु कनेक्शन?

टर्की के प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक की ज़ुबान पर इस बगावत के लिए जिस शख्स का नाम ज़ुबान पर है, वो हैं मुस्लिम धर्मगुरु फेतुल्लाह गुलेन। इसी धर्मगुरु पर सेना के अफसरों को भड़काने का आरोप है।

कौन है फेतुल्लाह गुलेन और उसने क्यों सेना को भड़काया?

  • 75 साल का फेतुल्लाह गुलेन अमेरिका में रहते हैं
  • गुलेन पहले टर्की के प्रेसिडेंट का क़रीबी थे
  • गुलेन का कारोबार अरबों डॉलर का है
  • 50 साल पहले इस्लाम को गलत तौर पर प्रचारित करने के लिए गुलेन को नोटिस मिला
  • बाद में वो तुर्की के खिलाफ काम करने लगा
  • इसके बाद 90 के दशक से निर्वासित गुलेन अमेरिकी में है
  • गुलेन और उसके सपोर्टर्स ने हिजमेत नाम का एक मूवमेंट शुरू किया
  • जो इस्लाम के रहस्यमय तरीके को प्रमोट कर रहा है

आधी रात के गदर के पीछे कौन?

आरोप है कि गुलेन कुछ मिलिट्री लिडरशिप के साथ मिलकर राष्ट्रपति को अपदस्थ करने की साज़िश रच रहे हैं। गुलेन के समर्थक लोग सेना, न्यायपालिका और पुलिस में हैं लेकिन गुलेन तमाम आरोपों को ख़ारिज करते हैं। गुलेन का आरोप है कि टर्की के राष्ट्रपति रैचेप तैयाप एर्दोआन की सरकार लोकतांत्रिक तरीक़े से नहीं चुनी गई है लेकिन सच तो ये है कि एर्दोआन पहले ऐसे प्रेसिडेंट हैं, जिसे तुर्की की जनता ने 2014 में सीधे चुना है। प्रेसिडेंट बनने के पहले वो तुर्की के प्राइम मिनिस्टर थे,जिसे जनता ने तीन टर्म तक सत्ता सौंपी थी। यही वजह है कि जब प्रेसीडेंट ने बाग़ियों पर लगाम लगाने की अपील की तो लोगों ने बाग़ी सैनिकों को घसीटकर इमारतों से बाहर निकाला और 4 घंटे में ही बाग़ियों के हौसले ठंडे पड़ गए।

फौज की बगावत पर जनता का जुनून भारी

तुर्की में अगर तख्तापलट नाकाम हुआ है तो ये एक ऐसे इलाक़े में लोकतंत्र की जीत है, जिसके आस-पास तानाशाही और राजशाही का बोलबाला है। ये एक तरक्की पसंद देश की जीत है जिसकी जनता इसे जान देकर बचाए रखना चाहती है। तुर्की में अगर तख्तापलट नाकाम हुआ है तो ये वहां के जनता की जीत है।

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