फोनोग्राफ और बिजली से जलने वाले बल्ब के आविष्कारक एडिसन न सिर्फ आत्माओं पर विश्वास करते थे बल्कि मरे हुए लोगों की आवाज़ भी सुनना चाहते थे।
ये रहस्योद्धाटन थॉमस एल्वा एडिसन के जीवन पर फ्रांस में छपी एक नई किताब में हुआ है जिसके मुताबिक वह एक 'स्पिरिट फोन' विकसित करना चाहते थे। यह किताब उनकी डायरी के कुछ पन्नों पर आधारित है।
किताब के मुताबिक लोगों को एडिसन के इस लक्ष्य के बारे में बहुत कम पता था। एडिसन ने इस दिशा में उनके प्रयासों के बारे में अपनी डायरी में विस्तार से लिखा है। डायरी का अंतिम अध्याय 1948 में प्रकाशित भी हुआ था लेकिन अंग्रेजी भाषा में छपे संस्करण में इस बारे में कुछ नहीं लिखा है।
अमेरिका में कुछ लोगों का मानना है कि एडिसन ने ये बात मज़ाक में कही होगी क्योंकि आज तक स्पिरिट फोन का कोई ऐसा डिज़ाइन नहीं बना है जिसके ज़रिए आत्माओं की आवाज़ सुनी जा सके। फ्रांस में एडिसन की इस डायरी का 1949 में किया गया अनुवाद अब भी सुरक्षित है।
बहरहाल अब उनकी डायरी के इस अध्याय को एक किताब के रूप में अब पढ़ा जा सकेगा जिसमें उन्होंने बात करने वाली मशीन के बारे में ज़िक्र किया है। इस किताब का नाम 'ले रोयॉम डे इयॉ देला' है, जिसका अर्थ है 'मौत के बाद का साम्राज्य'।
एडिसन का यह काम फ्रांसीसी रेडियो प्रस्तुतकर्ता और दार्शनिक फिलिप बोद्यॉं की मदद से प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने बताया, "बात करने वाली मशीन के बारे में इतिहास में ज्यादा कुछ नहीं है, लेकिन रेडियो प्रस्तुतकर्ता होने के नाते मुझे इसमें दिलचस्पी हुई।"
अध्याय में पता चलता है कि कैसे 1870 में एडिसन ने स्पिरिट फोन बनाने की बुनियाद तलाशने की कोशिश की थी। वह इस रिसर्च में फोनोग्राफ, ग्रामोफोन और रिकॉर्ड प्लेयर की मदद लेना चाहते थे। बोद्यॉं के मुताबिक एडिसन ने साथ में काम कर रहे इंजीनियर विलियम वॉल्टर डिनविडी के साथ यह तय किया था कि दोनों में से जो भी पहले मरेगा वह दूसरे को संदेश भेजेगा।
एडिसन मानते थे कि आत्माएं होती हैं और वे बातें भी करती हैं. बोद्यॉं ने बताया, "वह आत्माओं की आवाज रिकॉर्ड करना चाहते थे और उसे सुनने लायक बनाना चाहते थे जिसे ज़ाहिर है वैसे नहीं सुना जा सकता।"