लंदन: एक नए अध्ययन के अनुसार अनुमानित रूप से रहने योग्य समझे वाले ग्रहों में से जरूरी नहीं कि सब जीवन की दशाओं के अनुकूल हों क्योंकि उनका वायुमंडल उन्हें बेहद गर्म रखता है। अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों की टीम में भारतीय मूल के एक वैज्ञानिकों सुभनजॉय मोहंती शामिल हैं। मोहंती इंपीरियल कॉलेज लंदन में एस्ट्रोफिजिक्स विषय के वरिष्ठ व्याख्याता हैं।
जीवन की दशाओं के अनुकूल ग्रहों की तलाश करते हुए वैज्ञानिकों ने ग्रहों के सितारों के आसपास हैबिटेबल जोन्स में ग्रहों पर नजर गड़ाई। आमतौर पर इस तरह के अध्ययन में सूर्य जैसे सितारों की परिक्रमा पर ध्यान दिया जाता है। हालांकि हाल के अध्ययन में एम ड्वाफ्र्स या रेड ड्वाफ्र्स नाम से जाने जाने वाले सितारों के काफी करीब परिक्रमा करने वाले छोटे ग्रहों पर ध्यान दिया गया। एम ड्वाफ्र्स सूर्य से कहीं ज्यादा छोटे और मंद होते हैं। हमारी आकाशगंगा में करीब 75 प्रतिशत सितारे एम ड्वाफ्र्स हैं और हाल के अध्ययन में पाया गया कि उनमें से कई के आसपास ग्रह हैं जिससे अनुमानित रूप से जीवन की दशाओं के योग्य ग्रहों की संख्या अरबों में पहुंच जाती है।
पूर्व में समझा जाता था कि इनमें से कई ग्रहों पर हाइड्रोजन और हीलियम का घना वायुमंडल है। इस तरह के घने वायुमंडल का ग्रीनहाउस प्रभाव तरल जल के लिहाज से सतह को बेहद गर्म बना देगा जिससे वे शुरूआत में रहने के लिहाज से प्रतिकूल होंगे। लेकिन समय के साथ समझा गया कि एम ड्वाफ्र्स सितारे का एक्स-रे एवं अल्ट्रावॉयलेट विकिरण वायुमंडल को रहने योग्य बना देगा। अब नये अध्ययन में पता चला कि इनमें से ज्यादातर ग्रहों पर गर्म वायुमंडल बने रहने की संभावना है जिसका मतलब है कि वहां जीवन के अनुकूल दशाएं नहीं होंगी। पत्रिका मंथली नोटिसेज ऑफ रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी में यह अध्ययन प्रकाशित किया गया है।