क्यूबा के 20वीं सदी की क्रांति के हीरो फिदेल कास्त्रो को रविवार को सुपुर्द-ए-ख़ाक कर दिया गया। उन्हें 19वीं सदी के क्यूबा की आजादी के हीरो होसे मार्ती की समाधि के पास दफन किया गया है। सांता इफेगेनिया के कब्रिस्तान में सुपुर्-ए-ख़ाक की रस्म एक बेहद निजी और सादे समारोह में हुई। इससे पहले पूरे देश ने फिदेल को श्रद्धांजलि दी। फिदेल का जनाज़ा ग्रीन आर्मी जीप में चार दिन में करीब 1000 किलोमीटर का सफ़र तय कर सेंटियागो तक पहुंचा। सारे रास्ते उन्हें हजारों लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
फिदेल के छोटे भाई और क्यूबा के राष्ट्रपति राउल कास्त्रो ने भाई की ख़्वाहिश के मुताबिक़ ऐलान किया कि फिदेल के नाम पर देश में किसी संग्रहालय, इमारत या प्रतिमा अथवा सड़क का नामकरण नहीं किया जाएगा। राउल ने फिदेल की क्रांतिकारी और साम्यवादी विरासत की रक्षा करने का प्रण लिया। उन्होंने कहा “फिदेल को कोई पराजित नहीं कर सका। वह अजेय रहे।’
क्यूबा के क्रांतिकारी नेता फिदेल कास्त्रो का 25 नवंबर को निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे।
फिदेल कास्त्रो के अंतिम संस्कार में विश्व के कई नेता शामिल हुए। इनमें बोलीविया के राष्ट्रपति इवो मोरालेस, निकारागुआ के नेता डेनियल ओर्तेगा, वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो, ब्राजील के दो पूर्व राष्ट्रपति डिल्मा रूसेफ और लूला दा सिल्वा मौजूद थे।