पेरिस: पृथ्वी को गर्म करने वाली ग्रीनहाउस गैस पर ऐतिहासिक समझौते के लिए करीब 150 देशों के बीच आज वार्ता शुरू हुई। वार्ता ऐसे समय में शुरू हुई है जब उत्सर्जन बढ़ रहा है और 2015 इतिहास का सबसे गर्म वर्ष साबित हो सकता है।
शिखर सम्मेलन पेरिस में दो हफ्ते पहले हुए घातक हमले के बाद हो रहा है, जिसमें 130 से ज्यादा लोग मारे गए थे। सम्मेलन स्थल के आसपास करीब 2800 पुलिसकर्मियों और सैनिकों को तैनात किया गया है और नगर में करीब 6000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र समझौतों के 20 वर्ष से ज्यादा समय में पहली बार पेरिस जलवायु सम्मेलन का आयोजन हो रहा है जिसका उद्देश्य जलवायु पर कानूनी रूप से बाध्यकारी और वैश्विक समझौता करने और वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से कम रखना है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगर दुनिया दो डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्म होती है तो इस सदी के अंत तक जलवायु परिवर्तन के प्रभाव विनाशकारी और अपरिवर्तनीय हो जाएंगे।
संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलनों में दो डिग्री सेल्सियस का लक्ष्य काफी समय से रहा है और सभी देश वर्तमान में तापमान को 2.7 डिग्री से तीन डिग्री सेल्सियस तक करने को प्रतिबद्ध हैं। हालांकि प्रस्तावित समझौते में भविष्य में उत्सर्जन में कटौती को बढ़ाने का प्रावधान है। वार्ता से पहले चीन और भारत जैसे देशों ने अपने उत्सर्जन की कटौती और सीमा तय करने को लेकर योजनाएं घोषित की थीं।
सबसे कठिन मुद्दे हैं कि धनी और गरीब देशों के बीच कार्रवाई के बोझ को कैसे बांटा जाए, वैश्विक तापमान से संबंधित खर्च का वित्तपोषण कैसे हो और अंतिम समझौते का कानूनी प्रारूप क्या हो। 180 से ज्यादा देशों ने नुकसानदेह उत्सर्जन को कम करने की अपनी योजना को सामने रखा है वहीं ओबामा ने पेरिस शिखर सम्मेलन के सफल होने की उम्मीद जताई है।