मास्को: रूस के राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेकसोव ने बुधवार को कहा कि उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने पूर्व की तरफ विस्तार करना जारी रखा तो रूस इसका मुंहतोड़ जवाब देगा।
पेकसोव नाटो द्वारा मोंटेनेग्रो को सैन्य गठजोड़ में शामिल होने के लिए दिए गए आमंत्रण पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा, "नाटो द्वारा पूर्व में अपनी सैन्य क्षमताओं के विस्तार का नतीजा रूस द्वारा अपने हितों को सुरक्षित करने और अपनी सुरक्षा को बरकरार रखने के लिए मुंहतोड़ जवाब की शक्ल में सामने आएगा।"
इससे पहले नाटो के महासचिव जेंस स्टोलटेनबर्ग ने कहा था कि यह फैसला (मोंटेनेग्रो को गठजोड़ में शामिल करना) न तो रूस से संबंधित है और न ही किसी अन्य देश के खिलाफ है। स्टोलटेनबर्ग ने नाटो-रूस परिषद के पुनर्गठन की संभावना पर भी टिप्पणी की थी। इसके जवाब में पेसकोव ने कहा कि उन्होंने इस टिप्पणी को सुना नहीं है और पुनर्गठन को लेकर क्या कदम उठाए जा रहे हैं, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
नाटो-रूस परिषद का गठन रोम में 2002 में हुए नाटो शिखर सम्मेलन में किया गया था। इस परिषद का गठन नाटो देशों और रूस के बीच सुरक्षा से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए आधिकारिक राजनयिक पहल के तौर पर किया गया था। नाटो-रूस परिषद का गठन सुरक्षा से जुड़े मुद्दों के हल करने के अलावा संयुक्त परियोजनाओं पर भी काम करने के लिए किया गया था। लेकिन, जब 2014 में रूस ने क्रीमिया में अपनी सेनाएं भेजीं तो इस परिषद को भंग कर दिया गया।
समाचार एजेंसी इंटरफैक्स के अनुसार, रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई लावरोव ने नाटो-रूस परिषद के पुनर्गठन के बारे में अपने साइप्रस दौरे में बताया कि अगर नाटो सैन्य समूह इस तरह का कोई प्रस्ताव रखता है तो रूस इस पर वार्ता के लिए तैयार है।
पेसकोव ने कहा कि तुर्की द्वारा उसके लड़ाकू विमान को मार गिराने के बाद रूस ने तुर्की पर जो प्रतिबंध लगाए हैं, वह यूक्रेन संकट की वजह से रूस पर लगाए गए प्रतिबंध से अलग है। यह (तुर्की पर प्रतिबंध) आतंकवादी खतरे से रक्षा के लिए लगाए गए हैं।