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वैज्ञानिकों ने खोजा सौरमंडल में मौजूद छोटे ग्रहों से मिलता-जुलता ‘ओउमुआमुआ’

हमारे सौरमंडल में किसी दूसरे तारामंडल से आये एक ऐसे पहले पिंड का पता चला है जिसकी शुष्क, जैविक परत इसके अंदरूनी बर्फीले आवरण को पिघलने से बचाती है।

Edited by: India TV News Desk
Published : December 19, 2017 14:13 IST
Scientists conclude Oumuamua came from another solar system
Scientists conclude Oumuamua came from another solar system

लंदन: हमारे सौरमंडल में किसी दूसरे तारामंडल से आये एक ऐसे पहले पिंड का पता चला है जिसकी शुष्क, जैविक परत इसके अंदरूनी बर्फीले आवरण को पिघलने से बचाती है। ‘ओउमुआमुआ’ नामक यह पिंड हमारे सौरमंडल में मौजूद छोटे ग्रहों से काफी मिलता जुलता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि सिगारनुमा इस रहस्यमयी पिंड के बारे में दुनियाभर में हुए अनुसंधानों में यह पता चला कि हमारे ग्रहों एवं क्षुद्रग्रहों का जिस तरह से निर्माण हुआ, यह पिंड भी हमारी आकाशगंगा में विद्यमान अन्य तारों की प्रणाली से काफी मिलता जुलता है। गौरतलब है कि यह पिंड हमारी पृथ्वी के पास से होकर गुजर चुका है। (विदेशों मे रहने वाले लोगों में भारत सबसे आगे: UN रिपोर्ट )

इस पिंड को अक्तूबर में देखा गया था और तब से खगोलशास्त्री इस अनजान पिंड के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। इसका नाम ओउमुआमुआ रखा गया। ब्रिटेन में क्विंस यूनीवर्सिटी बेलफास्ट के अनुसांधानकर्ताओं ने ओउमुआमुआ के प्रकाश परावर्तन के तरीके का अध्ययन किया और पाया कि यह किसी शुष्क परत से ढंके किसी बर्फीले पिंड के समान है। यह इसलिए हुआ क्योंकि ओउमुआमुआ पर लाखों अरबों साल तक कॉस्मिक किरणें पड़ीं, जिससे इसके सतह पर एक रोधक जैविक-सम्पन्न परत का निर्माण हुआ।

यह अनुसंधान ‘नेचर एस्ट्रोनॉमी’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। अनुसंधान में यह सुझाव दिया गया है कि ओउमुआमुआ की शुष्क परत के कारण ही संभवत: सितंबर में सूर्य से महज 3.7 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर होने के बावजूद इसका अंदरूनी बर्फीला आवरण पिघलने से बच सका। ब्रिटेन में क्वींस यूनीवर्सिटी बेलफास्ट में प्रोफेसर एलन फित्जसिमोन्स ने कहा, ‘‘हमने यह खोज किया कि ओउमुआमुआ की सतह सौरमंडल के छोटे ग्रहों के समान हैं जो कार्बन-सम्पन्न बर्फों से ढंके होते हैं और कॉस्मिक किरणों के संपर्क में आने के कारण ही जिनके आकार में परिवर्तन हुआ।’’

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