पेरिस: रूस ने आज इस बात पर जोर दिया कि सीरिया में उसके युद्धक विमान उन्हीं आतंकवादियों को निशाना बना रहे हैं, जिन्हें अमेरिका बना रहा है। साथ ही हवाई हमलों में समन्वय नहीं बनाने की अमेरिकी आलोचनाओं को खारिज करते हुए उसने ऐसे आरोपों को भ्रामक सूचना युद्ध करार दिया। फ्रांस में रूस के राजदूत एलेक्सजेंडर ओर्लोव ने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा एक साल से हवाई हमलों के बावजूद इस्लामिक स्टेट चरमपंथियों को समाप्त करने में असफल रहने पर मास्को ने हस्तक्षेप किया है । ओर्लोव ने पूर्वानुमान लगाया कि सीरिया एक वर्ष के भीतर स्वतंत्र चुनावों के लिए तैयार हो सकता है। रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसके युद्धक विमानों ने कल आईएस समूह के चरमपंथियों के आठ ठिकानों को निशाना बनाकर उन्हें नष्ट किया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने ISIS के खिलाफ इस कार्रवाई को आतंकवादियों के खिलाफ अग्रसक्रिय कदम बताया है। मंत्रालय ने किसी विशेष स्थान की जानकारी नहीं दी, लेकिन ओर्लोव ने बताया कि सभी ठिकाने इस्लामिक स्टेट और सीरिया में अल-कायदा से जुड़े नुसरा फ्रंट के थे। ओर्लोव ने फ्रांस इन्फो रेडियो को बताया कि रूस की हवाई कार्रवाई सीरिया में जमीन पर लड़ रही सेना की मदद के रूप में काम कर रही है।
अमेरिका और रूस में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ने की जरूरत को लेकर एक राय है लेकिन राष्ट्रपति बशर अल-असद को लेकर असहमति है। अमेरिका असद को हटाने के पक्ष में जबकि रूस ऐसा नहीं चाहता है। असद को सत्ता से हटाने को लेकर सीरिया में शुरू हुए गृह युद्ध में मार्च 2011 से अभी तक 2,50,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और लाखों की संख्या में शरणार्थी भागकर मध्य एशिया और यूरोप में शरण ले रहे हैं। ओर्लोव ने कहा, हम देख रहे हैं कि यह गठबंधन (अमेरिका और उसके सहयोगी) पिछले एक वर्ष से सीरिया में सक्रिय है, 5,000 हवाई हमले कर चुका है लेकिन इस्लामिक स्टेट अभी भी मौजूद है। अमेरिका और सहयोगियों द्वारा पहले से जारी हवाई हमले तथा अब सीरिया में रूसी युद्धक विमानों के प्रवेश के साथ ही इस युद्ध ने भयावह मोड़ ले लिया है। ओर्लोव ने बताया कि रूसी अधिकारियों ने पहले ही अमेरिकी समकक्षों को गोपनीय माध्यम से सूचित कर दिया था कि वे कहां हमला करने वाले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बगदाद में समन्वयन केन्द्र स्थापित किया गया है, जिसमें सीरिया, इराक, ईरान और रूस तथा इसमें हिस्सा लेने को इच्छुक कोई भी देश शामिल हो सकता है।