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भारत और अमेरिका के बढ़ते संबंधों से रूस को नहीं है कोई दिक्कत: कुदाशेव

भारत में रूस के राजदूत निकोलाय कुदाशेव ने आज कहा कि उनका देश भारत और अमेरिका के बढ़ते संबंधों पर चिंतित नहीं है, लेकिन उसे वॉशिंगटन के ‘‘एजेंडा’’ पर आशंका है, क्योंकि यह मॉस्को के लिए ‘‘रचनात्मक नहीं दिखता।’’

Edited by: India TV News Desk
Published on: November 08, 2017 8:39 IST
Nikolaay Kudashev- India TV Hindi
Nikolaay Kudashev

नयी दिल्ली: भारत में रूस के राजदूत निकोलाय कुदाशेव ने आज कहा कि उनका देश भारत और अमेरिका के बढ़ते संबंधों पर चिंतित नहीं है, लेकिन उसे वॉशिंगटन के ‘‘एजेंडा’’ पर आशंका है, क्योंकि यह मॉस्को के लिए ‘‘रचनात्मक नहीं दिखता।’’ उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच अतीत में विभिन्न मुद्दों पर जिस तरह का सहयोग रहा है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि दोनों देशों के रिश्तों में विस्तार की अपार संभावनाएं हैं। पाकिस्तान और रूस की बढ़ती नजदीकियों पर भारत की चिंताएं दूर करने की कोशिश करते हुए कुदाशेव ने इस बात पर जोर दिया कि नई दिल्ली के साथ मॉस्को के रिश्ते ‘‘अद्वितीय’’ हैं। (स्टीफन हॉकिंग ने दी चेतावनी, आने वाले कुछ वर्षों में आग के गोले में बदल जाएगी पृथ्वी)

उन्होंने कहा, ‘‘सैन्य, अंतरिक्ष, परमाणु सहित ज्यादातर क्षेत्रों में अच्छा द्विपक्षीय सहयोग 60 और 70 के दशक से रहा है। इसलिए यह लंबे समय से स्थापित परंपरा है। इसमें अब विस्तार की गुंजाइश नहीं होने की बजाय मैं यह कहना चाहूंगा कि भारत-रूस के रिश्तों की मौजूदा संभावनाओं की तुलना में यह कम है।’’ कुदाशेव इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या भारत-रूस रिश्तों के मौजूदा मॉडल ने अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल कर लिया है। विवेकानंद फाउंडेशन में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि दोनों देश सहयोग के नए क्षेत्रों एवं आयामों पर काम कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में ‘भारत-रूस संबंध की 70वीं वर्षगांठ: विशेष साझेदारी के नए फलक’ विषय पर एक रिपोर्ट जारी की गई।

पिछले कुछ साल में अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते बेहतर हुए हैं और अमेरिका नई दिल्ली के प्रमुख रक्षा साझेदारों में से एक है। रूस सामरिक क्षेत्रों में भारत का अहम साझेदार बना हुआ है। दोनों देशों ने पिछले महीने रूस में तीनों सेनाओं का पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास किया। भारत-अमेरिका के बढ़ते सहयोग, खासकर रक्षा क्षेत्र में, को लेकर आशंकाओं के बारे में पूछे जाने पर राजदूत ने कहा, ‘‘जहां तक अमेरिका के साथ संबंधों की बात है, तो हमारी चिंताएं भारतीय पक्ष को लेकर नहीं हैं, लेकिन यह ज्यादातर दूसरे पक्ष, अमेरिका, को लेकर हैं जिसका एजेंडा कम से कम आज हमारे लिए सकारात्मक और रचनात्मक नजर नहीं आता।’’ उन्होंने उम्मीद जताई कि निकट भविष्य में इसमें बदलाव आएगा और तीनों देश यूरेशियाई समुदाय के लिए मिलकर काम करेंगे।

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