लंदन: पेरिस में जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को धनी देशों को याद दिलाया कि आज भी ग्लोबल वार्मिग के खिलाफ संघर्ष को नेतृत्व देना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है। मोदी ने ब्रिटेन के अखबार 'फाइनेंशियल टाइम्स' में एक लेख में लिखा है, "समान लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियां हमारे सामूहिक प्रयास का आधार होनी चाहिए।"
उन्होंने लिखा है, "न्याय का तकाजा है कि जो भी थोड़ा-बहुत कार्बन हम सुरक्षित रूप से जला सकते हैं, विकासशील देशों को विकास करने दिया जाए। विकास की पहली सीढ़ी पर ही कुछ लोगों की जीवनशैली का असर बहुत से लोगों के अवसर पर नहीं पड़ना चाहिए।" मोदी ने लिखा है कि जीवाश्म ईंधन के बल पर समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ने वाले विकसित देशों को इससे पैदा हुई चुनौतियों से निपटने में सर्वाधिक बोझ वहन करना चाहिए। मोदी ने लिखा कि वह फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वां होलांद के साथ मिलकर उष्णकटिबंध के सौर ऊर्जा संपन्न 121 देशों का अंतर्राष्ट्रीय गठजोड़ शुरू करेंगे।
मोदी ने लिखा है कि कुछ लोगों का कहना है कि स्वच्छ ऊर्जा को विकसित करने की जिम्मेदारी गरीब देशों पर भी उतनी ही है जितनी अमीर देशों की। इसकी वजह वे यह बताते हैं कि विकसित देश जब विकसित हो रहे थे तो उन्हें जीवाश्म ईंधन के नुकसान के बारे में जानकारी नहीं थी। मोदी ने इस तर्क के जवाब में लिखा है कि नई जागरूकता कहती है कि विकसित देशों को अधिक जिम्मेदारी उठानी चाहिए। तकनीक मौजूद होने का मतलब यह नहीं है कि उसे वहन करने में सभी समर्थ हैं और वह प्राप्य है।