जेनेवा: अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति (ICRC) ने कहा है कि उनके कर्मचारियों ने म्यांमार और बांग्लादेश में शरणार्थी संकट में मदद के अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ICRC ने शुक्रवार को कहा कि संस्था उन परिवारों को लेकर गंभीर रूप से चिंतित है, जो 25 अगस्त से म्यांमार में जारी हिंसा से भाग कर बांग्लादेश में पनाह ले रहे हैं। ICRC के एशिया और प्रशांत क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक बोरिस माइकल ने कहा, ’इस हिसा से प्रभावित सभी समुदाय कष्ट झेल रहे हैं।’ ICRC ने कहा कि उन्होंने इस हफ्ते से हिंसा के बाद घर से भागे करीब 8,000 परिवारों को भोजन-पानी की आपूर्ति शुरू कर दी है। ये परिवार म्यांमार और बांग्लादेश सीमा के दोनों तरफ मौजूद हैं।
बांग्लादेशी चिकित्सकों और अर्धचिकित्सकों वाले ICRC समर्थित एक सचल स्वास्थ्य दल को बांग्लादेश के इन क्षेत्रों में भेज दिया गया है। ICRC ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा, ‘ICRC म्यांमार रेड क्रॉस सोसायटी (NRCS), बांग्लादेश रेड क्रीसेंट सोसायटी (BDRCS), और सामुदायिक स्वयंसेवकों के साथ मिलकर नजदीकी तौर पर इस आपात स्थिति में काम कर रही है।’ दुनिया में नागरिकता विहीन एक सबसे बड़े समुदाय रोहिंग्या के लोग बांग्लादेश की तरफ झुंड में पलायन कर रहे हैं, और राखिन राज्य में एक छद्म आतंकवादी समूह और म्यांमारी सेना के बीच जारी हिंसा से खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने शनिवार को कहा कि म्यांमार के राखिन प्रांत में ताजा हिंसा भड़कने के 15 दिनों में लगभग 3 लाख रोहिंग्या मुसलमान पलायन कर बांग्लादेश पहुंचे हैं। इस आंकड़े के अनुसार लगभग एक दिन में 20 हजार रोहिंग्याओं ने पलायन किया है। अधिकारियों ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने उन गांवों और क्षेत्रों में अधिक रोहिंग्याओं को पाया है जिन्हें पूर्व में राहत एजेंसियों ने शामिल नहीं किया था। अधिकतर रोहिंग्या म्यांमार से लगती सीमा को पार कर पैदल या नौकाओं के जरिए बांग्लादेश पहुंच रहे हैं।