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पंजाब को भारत से अलग करने के लिए लंदन में खालिस्तान समर्थक रैली का आयोजन

ब्रिटेन ने भारत के विरोध के बावजूद 12 अगस्त को लंदन में होने वाली खालिस्तान समर्थक रैली को मंजूरी देने के अपने फैसले को सही ठहराया है।

Edited by: India TV News Desk
Updated on: August 12, 2018 14:03 IST
भारत, खालिस्तान, ब्रिटेन, रैली- India TV Hindi
Image Source : एपी भारत के विरोध के बावजूद खालिस्तान समर्थक रैली की अनुमति को ब्रिटेन ने सही ठहराया

नई दिल्ली: ब्रिटेन ने भारत के विरोध के बावजूद 12 अगस्त को लंदन में होने वाली खालिस्तान समर्थक रैली को मंजूरी देने के अपने फैसले को सही ठहराया है। भारत ने इस रैली को ‘अलगाववादी गतिविधि’ बताया था और कहा था कि यह भारत की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ है। ब्रिटिश उच्चायुक्त के एक प्रवक्ता कहा कि ब्रिटेन में लोगों को विरोध करने और अपने विचारों के प्रदर्शन का अधिकार कानून के तहत मुहैया कराया गया है।

प्रवक्ता ने कहा, “अगर यह प्रदर्शन कानून की अवहेलना करता है तो पुलिस के पास उन गतिविधियों से निपटने के व्यापक अधिकार हैं जो घृणा फैलाते हैं या जानबूझकर हिंसा या सार्वजनिक अशांति के जरिए तनाव बढ़ाने की कोशिश करते हैं।'' उन्होने कहा, “लेकिन यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन को निषेध नहीं करता है। इस तरह की शक्ति और इस तरह के प्रदर्शनों का प्रबंधन पुलिस के लिए अभियान का मामला है।” ब्रिटेन का यह बयान भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा ब्रिटेन को यह कहे जाने के बाद आया है कि यह रैली ‘अलगाववादी’ गतिविधि होगी और इसका लक्ष्य भारत की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करना है। इस रैली का आयोजन नहीं करने की अनुमति देने के भारत के आग्रह को ब्रिटेन पहले ही ठुकरा चुका है।

भारत ने कहा, रैली का मकसद हिंसा, अलगाववाद और नफरत फैलाना

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कल कहा था, ‘‘हमने कहा है कि इस रैली का मकसद हिंसा, अलगाववाद और नफरत फैलाना है तथा हम आशा करते हैं कि जब वे ऐसे मामलों पर निर्णय लें तो संबंधों के व्यापक परिप्रेक्ष्य में इन बातों को ध्यान में रखें।’’ ब्रिटेन की वामपंथी झुकाव वाली ग्रीन पार्टी पहले ही खालिस्तान समर्थक रैली को अपना समर्थन दे चुकी है। 

रैली के आयोजको ने कहा, हमरा मकसद पंजाब को स्वतंत्र देश बनाना

यह रैली लंदन में ट्रैफलगर चौक पर रविवार को आयोजित होने वाली है। इस रैली के बारे में जुलाई में जब खबरें आनी शुरू हुई थीं तो भारत ने डेमार्श के जरिए इस पर औपचारिक विरोध जताया था। सिख फॉर जस्टिस नाम के समूह का कहना है कि इस रैली का मकसद पंजाब को स्वतंत्र देश बनाने के लिए 2020 में एक गैर बाध्यकारी जनमत संग्रह की मांग करने को लेकर जागरूकता फैलाना है।

क्या है खालिस्तान मुद्दा, इसी कारण हुई थी इंदिरा गांधी की हत्या?

1980 के दशक में सिखों के लिए अलग खालिस्तान की मांग उठी थी और जरनैल सिंह भिंडरांवाले के नेतृत्व में खालिस्तान आंदोलन परवान चढ़ा था। जिस कारण पूरे पंजाब में आंतकवादी गतिविधियां चरम पर थीं। 1984 में स्वर्ण मंदिर से आतंकियों को हटाने के नाम पर सेना की कार्रवाई ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद खालिस्तान का आंदोलन और भड़का और आतंकियों ने 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या कर दी थी। जिसके बाद देश भर में भयानक दंगे भड़क गए थे।

अमरीका समेत कई देशों में पिछले कई सालों से खालिस्तान आंदोलन चलता रहा है। भिंडरावाले टाइगर फोर्स ऑफ खालिस्तान, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स, बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान टाइगर फोर्स, खालिस्तान कमांडो फोर्स, खालिस्तान लिबरेशन फोर्स जैसे संगठनों से जुड़े चरमपंथी समय-समय पर गिरफ्तार किये जाते रहे हैं। ऐसे में आज इन लोगों का भाग जाना एक बड़े खतरे का संकेत माना जा रहा है।

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