सेंट पीटर्सबर्ग (रूस): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जब रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से मुलाकात की तो रिश्ते बेहद निजी दिखाई दिए जब मोदी ने इस बारे में जिक्र किया कि किस तरह रूसी राष्ट्रपति के भाई उनके परिवार के उन अनेक सदस्यों में शामिल हैं जिन्होंने देश के लिए जान गंवा दी।
आठ महीने में दूसरी बार 64 वर्षीय पुतिन से मुलाकात करते वक्त मोदी ने अपने शुरूआती वक्तव्य में पिस्कारियोवस्कोये सीमेट्री के अपने दौरे का जिक्र किया जहां द्वितीय विश्व युद्ध और 900 दिन तक लेनिनग्राद पर रहे कब्जे के दौरान मारे गये पांच लाख से अधिक लोगों का स्मारक बनाया गया है।
मोदी ने पुतिन से कहा कि वह प्रधानमंत्री के रूप में पुतिन के गृहनगर आकर खुश हैं। पहली बार रूस में भारत-रूस शिखरवार्ता मॉस्को से बाहर सेंट पीटर्सबर्ग में हो रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, सामान्य तौर पर अंतरराष्ट्रीय संबंध ऊपर नीचे होते रहते हैं लेकिन इतिहास गवाह है कि भारत-रूस संबंधों में कोई उतार चढ़ाव नहीं आया।
66 साल के मोदी ने कहा, मुझे सीमेट्री में जाने का और रूस के लिए जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देने का अवसर मिला। उन्होंने पुतिन को देखते हुए कहा, आप एक राजनेता हैं जिनके परिवार ने रूस के सम्मान के लिए कुर्बानी दी। उन्होंने कहा, आपके भाई शहीद हो गये थे।
पुतिन के भाई विक्टर की 70 साल पहले द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मौत हो गयी थी। जब विक्टर महज दो साल के थे। पुतिन द्वारा 2008 में रस्की पायोनियर पत्रिका को दी गयी जानकारी के अनुसार उनके पिता छह भाई थे। उनमें से पांच 1941 से 1944 के युद्ध के दौरान मारे गये थे। सेंट पीटर्सबर्ग का पुराना नाम लेनिनग्राद है।
पुतिन ने पत्रिका को बताया था कि कैसे उनकी कमजोर मां को मरणासन्न अवस्था में स्ट्रेचर पर एक जर्जर इमारत से ले जाया गया। इससे पहले महीनों तक बंधक बने रहने और हिंसक युद्ध के दौरान दो साल के विक्टर की डिप्थीरिया और भुखमरी से मौत हो गयी थी।
पुतिन के एक और भाई अलबर्ट का जन्म 1930 के दशक में हुआ था लेकिन शैशवावस्था में ही उनकी भी मृत्यु हो गयी। 1952 में जन्मे पुतिन ने सीमेट्री जाने के लिए मोदी का आभार जताया। उन्होंने कहा कि रूस की जनता के दिल में ऐसी जगहों के लिए खास महत्व है।