जिनेवा: जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को भारत द्वारा हटाने के बाद मामले में दखल देने की अपनी गुजारिश को खारिज किए जाने से निराश पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र और 'शक्तिशाली' देशों की आलोचना की है और कहा है कि वे 'गूंगे और बहरे' हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचआरसी) को दिए गए 115 पन्नों के डोजियर में पाकिस्तान ने यह भी कहा है कि भारत ने अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस को 'पूरी तरह से अप्रासंगिक' बना दिया है ताकि उसे स्थायी रूप से दरकिनार किया जा सके।
अनुच्छेद 370 को हटाने के मामले पर दस्तावेजों में कहा गया है, "पाकिस्तान इसे भारत के आंतरिक मसले के रूप में नहीं देखता है। यह कश्मीर की स्थिति में एक निर्णायक बदलाव है।" डोजियर में कहा गया, "विडंबना यह है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, संयुक्त राष्ट्र और शक्तिशाली देशों ने मानवाधिकार पर सार्वभौम घोषणा (यूडीएचआर) के सुनहरे दस्तावेज को भुला दिया है और वे जम्मू व कश्मीर में मानवाधिकार के मुद्दे पर गूंगे और बहरे बन गए हैं।"
पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर मामले में तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसे इस मसले पर रूस और अमेरिका के अलावा खाड़ी देशों का भी समर्थन नहीं मिला, जबकि उसने मुस्लिम कार्ड खेलने की भी कोशिश की।
पाकिस्तान ने यहां तक कि भारत के साथ युद्ध की धमकी देकर दुनिया को ब्लैकमेल करने का प्रयास किया, लेकिन फिर भी उसे सफलता नहीं मिली। पाकिस्तान ने अमेरिका को भी यह धमकी दी वह अफगानिस्तान में आंतकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में मदद नहीं करेगा, लेकिन इसका भी उसे फायदा नहीं मिला।
दुनिया के ज्यादातर देशों ने कहा है कि यह भारत का आंतरिक मामला है और इसका समाधान भारत और पाकिस्तान को ही आपस में मिलकर करना चाहिए।
पाकिस्तान को सबसे बड़ा झटका खाड़ी देशों और इस्लामिक सहयोग संगठन (ओसीसी) के देशों से मिला है। संयुक्त अरब अमीरात ने तो पाकिस्तान की तौहीन करते हुए भारत के खिलाफ रुख अपनाने की बजाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान 'ऑर्डर ऑफ जायद' से नवाजा।
इसी प्रकार से बहरीन ने भी मोदी को सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार दिया। एकमात्र देश चीन ने पाकिस्तान का समर्थन किया है, जबकि अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन ने कहा है कि यह भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है।