पेरिस: पाकिस्तान में इस वक्त हड़कंप मचा हुआ है। पाकिस्तान के हुक्मरानों से लेकर वहां की अवाम तक की सांसें अटकी हुई है क्योंकि तीन दिन बाद तय होने वाला है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय आतंकी वित्तपोषण की निगरानी संस्था एफएटीएफ के ब्लैक लिस्ट में होगा या फिर डार्क ग्रे लिस्ट में। एफएटीएफ के फैसले को लेकर इमरान खान की हुकूमत एक पैर पर खड़ी है।
वैसे तो 18 अक्टूबर को पेरिस में फाइनल फैसला होगा कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में रखा जाए या ग्रे में लेकिन अब ये तय हो गया है कि पाकिस्तान एफएटीएफ के ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं निकलने वाला। 36 में से एक भी देश, पाकिस्तान के साथ खड़ा नहीं था। आखिरी बैठक से पहले सबने मिलकर कहा, पाकिस्तान एक बर्बाद मुल्क का नाम है इसलिए ग्रे लिस्ट से निकालकर उसे डार्क ग्रे में रखा जाए।
इसका सीधा मतलब ये है पाकिस्तान को IMF और वर्ल्ड बैंक की ओर से कोई वित्तिय सहायता नहीं मिलेगी। यही नहीं पाकिस्तान को यूरोपिय यूनियन की ओर से भी वित्तिय सहायता नहीं मिलेगी और वैश्विक बैंक या निवेशक पाकिस्तान के साथ डील नहीं करेंगे। 27 मामलों में पाकिस्तान को कहा गया था कि आप कार्रवाई कीजिए जिसमें पाकिस्तान सिर्फ 6 मामलों में कार्ररवाई कर पाया इसलिए अब तक जो खबर सामने आ रही है कि पाकिस्तान को डार्क ग्रे लिस्ट में रखा जा सकता है।
आसान शब्दों में कहें तो ये पाकिस्तान के लिए चेतावनी है कि अगर उसने अब भी आतंक से रिश्ता नहीं तोड़ा तो अगली बार ब्लैक ग्रेड तय है। अब पाकिस्तान में तनाव है, पैसा आना बंद हो जाएगा तो पाकिस्तान की फ़ौज़ क्या करेगी, ये सोचकर रावलपिंडी में बाजवा को नींद उड़ी हुई है। सुबह से शाम तक 24 घंटे पाकिस्तानी चैनलों पर सरकार यही बोल रही है कि एफएटीएफ में भारत साजिश कर रहा है।
पाकिस्तान का ये हाल किया है हाफिज सईद से उसके प्यार ने। पाकिस्तान को इस गड्ढे में गिराया है लश्कर-ए-तैयबा से बाजवा की यारी ने। जंग-जंग चिल्लाने वाले पाकिस्तानी अब एफएटीएफ की रागिनी गा रहे हैं। तीन दिन बाद फ्रांस की राजधानी पेरिस में पाकिस्तान की दहशतगर्दी के बही-खाते का हिसाब होने वाला है। पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में आया हुआ है। ग्रे लिस्ट से ये बिल्कुल क्लियर भी हो सकता है और ग्रे लिस्ट से ये ब्लैक लिस्ट में भी जा सकता है। ब्लैक लिस्ट में जाने की सूरत में पाकिस्तान पर बेशुमार किस्म की आर्थिक पाबंदियां आ सकती हैं।
एफएटीएफ के नियमों के अनुसार 'ग्रे' और 'ब्लैक' सूचियों के बीच एक अनिवार्य चरण है, जिसे 'डार्क ग्रे' कहा जाता है। 'डार्क ग्रे' का अर्थ है सख्त चेतावनी ताकि संबंधित देश को सुधार का एक अंतिम मौका मिल सके। एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी निकाय है, जिसे धन शोधन, आतंकवादी वित्तपोषण और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिए अन्य खतरों का मुकाबला करने के लिए स्थापित किया गया है।