ओस्लो: हर देश में कुछ ना कुछ खूबिंया होती है, कईं कानून होते हैं या फिर यूं कहे तो कई रिति-रिवाज होते हैं जो उसे अन्य देशों में सबसे अलग बनाते हैं आज हम बात करने जा रहे हैं नार्वे की। यूं तो नार्वे अपनी कई खूबियों को लेकर जाना जाता है। नार्वे यूरोप महाद्वीप का एक ऐसा देश हैं जहां आप आधी रात को भी सूर्य को देख सकते हैं। इसलिए नार्वे को 'मध्यरात्रि के सूर्य का देश’ कहते हैं। यहां चौबीसों घंटे सूर्य क्षितिज पर दिखाई देता है। इसी के चलते अब नार्वे दुनिया का पहला ऐसा देश बन चुका है जिसने एफएम रेडियो का प्रसारण बंद कर दिया है। नार्वे ने अब एफएम की बजाय डिजिटल ऑडियो ब्रॉडकास्टिंग (डैब) तकनीक को अपनाया है।
क्या होती है डैब तकनीक
यह एक ऐसी तकनीक हैं जिसमें एनालॉग ऑडियो सिग्नल को डिजिटल सिग्नल में बदला जाता है। इसे ऑडियो की अब तक की सबसे बेहतरीन तकनीक माना जाता है। आपको बता दे नार्वे अगले सप्ताह से पूरी तरह इस, तकनीक को अपनाने जा रहा है। इस तकनीक को अपनाने से 2.35 करोड़ डॉलर की सलाना बचत होगी। नार्वे में 20% निजी कारें ऐसी है जिनमें पहले से डैब रेडियो सिस्टम मौजूद है। एफएम को डैब रेडियो सिस्टम में बदलने में 174.70 डॉलर की लागत आती है।
अन्य देश भी कर रहे हैं प्रयास
इसके साथ ही अन्य यूरोपीय देश भी इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। नार्वे की ही तरह बाकी देश भी एफएम बंद करने को लेकर सोच रहे हैं। आपको बता दें कि स्विट्जरलैंड ने एफएम रेडियो को खत्म करने के लिए 2020 की समयसीमा तय की है। वहीं अन्य यूरोपीय देश भी इस ओर कदम बढा रहे हैं। इसके साथ ही आपको बता दें कि डैब एफ एम से बेहतर है। और एफएम से इसकी लागत कम भी है। भारत में भी एफएम रेडियो की शुरूआत चेन्नई में 1977 में हुई थी। यहां सरकार एफएम कंपनियों से वन टाइम एंट्री शुल्क लेती है।