ओस्लो: नॉर्वे और डेनमार्क ने एस्ट्रेजेनेका कोरोना वायरस वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। डेनमार्क में वैक्सीन पर इसलिए रोक लगाई गई क्योंकि वहां कुछ लोगों में ब्लड क्लॉट से जुड़े केस सामने आए। वहीं, नॉर्वे की हेल्थ अथॉरिटी ने भी इस वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूरोप के कम से कम 5 देशों ने ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के एक बैच के इस्तेमाल पर रोक लगाई है।
पिछले महीने दक्षिण अफ्रीका ने भी लगाई थी रोक
बता दें कि दक्षिण अफ्रीका ने अपने स्वास्थ्य कर्मियों को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का टीका देने पर रोक लगा दी थी। यह निर्णय एक नैदानिक परीक्षण के नतीजे आने के बाद लिया गया था जिसमें पाया गया कि टीका कोरोना वायरस के नए स्वरूप से उपजी बीमारी पर प्रभावी नहीं है। दक्षिण अफ्रीका को एस्ट्राजेनेका टीके की पहली 10 लाख खुराक फरवरी के पहले सप्ताह में प्राप्त हुई थी और फरवरी के मध्य से स्वास्थ्य कर्मियों को टीका देने की योजना थी। एक छोटे अध्ययन से प्राप्त प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक एस्ट्राजेनेका का टीका, दक्षिण अफ्रीका में पाए गए कोरोना वायरस के नए प्रकार से उपजी कम तीव्रता की बीमारी से केवल न्यूनतम स्तर की सुरक्षा देता है।
जनवरी में पूरे EU के लिए मिली थी मंजूरी
नियामक एजेंसी ने जनवरी के अंतिम सप्ताह में पूरे यूरोपीय संघ (EU) में एस्ट्राजेनेका का कोरोना वायरस टीका वयस्कों को दिए जाने के लिए मंजूरी प्रदान कर दी थी। नियामक ने यह मंजूरी इन आलोचनाओं के बीच दी थी कि ईयू अपनी आबादी के टीकाकरण के लिए पर्याप्त तेजी से कदम नहीं उठा रहा है। नियामक यूरोपियन मेडिसिंस एजेंसी ने 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को यह टीका लगाने के लिए लाइसेंस दिया था। हालांकि पिछले दिनों चिंता जताई गई थी कि यह साबित करने के लिए पर्याप्त आंकड़े मौजूद नहीं हैं कि यह टीका उम्रदराज लोगों में भी कारगर है। यह तीसरा कोविड-19 टीका था जिसे यूरोपीय एजेंसी ने मंजूरी दी थी। इससे पहले फाइजर और मॉडर्ना द्वारा तैयार टीकों को मंजूरी दी गयी थी। वे दोनों टीके सभी वयस्कों के लिए अधिकृत हैं।