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हाफिज सईद ने ब्रिटिश मुसलमानों को आतंकी बनने के लिए उकसाया : बीबीसी रिपोर्ट

पाकिस्तान में प्रतिबंधित जमात-उद-दावा (जेयूडी) के प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद ने 9/11 अमेरिकी हमले से पहले 1990 के दशक में ब्रिटेन की यात्रा कर मुस्लिम युवकों को जिहादी बनने के लिए उकसाया था।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : January 10, 2018 20:47 IST
Hafiz saeed
Hafiz saeed

लंदन: पाकिस्तान में प्रतिबंधित जमात-उद-दावा (JUD) के प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद ने 9/11 अमेरिकी हमले से पहले 1990 के दशक में ब्रिटेन की यात्रा कर मुस्लिम युवकों को जिहादी बनने के लिए उकसाया था। बीबीसी की एक जांच में इस बात का खुलासा हुआ है। एक करोड़ डॉलर इनामी राशि वाला सईद कथित तौर पर 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड है। उसने ब्रिटेन के शहरों में स्थित भीड़ से खचाखच भरी मस्जिदों में उकसाने वाले भाषण दिए और उन दिनों की तरफ लौटने को कहा जब मुस्लिमों ने जिहाद की शुरुआत की थी और सुरक्षा राशि नास्तिक लोगों द्वारा मुहैया कराई जाती थी। लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक सईद ने मुंबई नरसंहार में शामिल होने की खबरों से सिरे से नकार दिया था। 

पाकिस्तान के डॉन अखबार की एक खबर के हवाले से बीबीसी ने कहा कि बड़े पैमाने पर मुस्लिमों के पवित्रयुद्ध लड़ने के लिए विदेश जाने के बारे में ब्रिटिश सरकार और खुफिया एजेंसियों की चिंताओं के बीच इस बात का खुलासा हुआ है। यह जांच, बीबीसी के रेडियो -4 की एक 40 मिनट की डॉक्यूमेंट्री के आधार पर हुई है। यह डॉक्यूमेंट्री मंगलवार रात प्रसारित हुई थी। इसमें खुलासा हुआ कि ब्रिटिश मुसलमानों द्वारा हिंसक धार्मिक संघर्ष की जड़ें 1990 के दशक के मध्य में रखी गई थीं, जो सोचने से पहले ही शुरू हो गया था। सईद के संगठन मर्कज दावा वल इरशाद द्वारा प्रकाशित एक मासिक पत्रिका मुजाल्ला अल दावाह में ब्रिटेन का दौरा लिखा गया है। 

बीबीसी द्वारा जांच को बेपर्दा किए जाने के दौरान लेख के मुताबिक, हाफिज सईद नौ अगस्त, 1995 को ब्रिटेन पहुंचा और जिहाद के बारे में युवाओं को भाषण देने के लिए तैयार था। दर्शकों को जिहाद के लिए खड़ा होने और हिंदुओं का तिरस्कार करने के उसके आग्रह पर बमिर्ंघम में सन्नाटा छा गया था। लेख के मुताबिक, उसी संबोधन ने ब्रिटेन में असल तौर पर जिहाद का आधार रखा गया था। 

हुद्दरस्फील्ड में सईद ने कहा था, "नास्तिकों को हराने के लिए यह हमारा कर्तव्य है कि परमाणु बमों समेत हथियारों और गोला-बारूद को सभी रूपों में विकसित करें। यह अल्लाह का आदेश है। हम जिहाद घोषित करते हैं।" 26 अगस्त को लीसेस्टर में सईद ने चार हजार लोगों की उपस्थिति में एक सम्मेलन में भाषण दिया था। उसके संबोधन ने युवाओं में नई आत्मा का संचार किया। सैकड़ों युवाओं ने जिहाद के प्रशिक्षिण के लिए अपनी रुचि दिखाई।

ब्रिटिश दौरे को समेटते हुए लेखक ने लिखा, "बड़े पैमाने पर युवा जिहाद का प्रशिक्षण चाहते थे। कॉलेज और विश्वविद्यालय के 50 छात्रों के एक समूह को इस कार्यक्रम के लिए चुना गया। वह समय दूर नहीं था जब मुस्लिम जागने वाले थे।" लंदन में कंप्यूटर साइंस के स्नातक मनवर अली, जो उस वक्त एक जिहादी बन गया था, लेकिन उसने अब हिंसा छोड़ दी है। उसने बीबीसी को बताया कि उसी ने जिहाद के समर्थन और धन जुटाने के लिए सईद को ब्रिटेन की यात्रा करने के लिए राजी किया था।

अली ने बीबीसी को बताया, "जब भी सईद ग्रीन लेन और रोचडेल, स्कीपटन, रोदरहेम, बार्मिघम और लीसेस्टर जाते थे तो हजारों लोग वहां आते थे।" हर दौरे पर 150,000 पाउंड से अधिक एकत्र हो जाते थे। महिलाएं उनके आह्वान पर अपने सोने के कंगन और कान के झुमके उतार देती थीं। सैकड़ों ब्रिटेनवासी फिलीपींस, जम्मू एवं कश्मीर के साथ साथ बोस्निया की जंग में लड़ रहे हैं, जबकि कुछ अपनी जान गंवा चुके हैं।

पाकिस्तान ने 2002 में लश्कर को प्रतिबंधित कर दिया था, लेकिन सईद के समूह छोड़ने और जमात-उद-दावा को स्थापित करने के बाद से वह सरकार की निगरानी में है और उस पर से प्रतिबंध हटा लिया गया है। सईद को पाकिस्तान के उसके घर में नजरबंद किया गया था, लेकिन पिछले साल वह आजाद हो गया था।

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