बर्लिन : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जर्मनी से आने वाले निवेश और व्यवसाय की सुविधा के लिये एक अलग व्यवस्था स्थापित करने की मंगलवार को घोषणा की। इसके साथ ही दोनों देशों ने द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग का दायरा बढ़ाने पर सहमति जताई है।
मोदी ने जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल के साथ बातचीत के बाद यह घोषणा की। दोनों के बीच हैनोवर मेले और उसमें भारत मंडप के उद्घाटन के बाद से पिछले दो दिनों के दौरान बातचीत हुई है।
उन्होंने कहा, ‘मैंने चांसलर मर्केल और जर्मनी में जो उत्साह और रुचि देखी है उससे में काफी उत्साहित महसूस कर रहा हूं। इसके साथ ही मुझे यहां से जो जानकारी मिली है वह हमारी नीतियों को बनाने में काफी फायदेमंद होगी।’ मर्केल के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में मोदी ने कहा, ‘मैंने यह भी तय किया है कि हम भारत में जर्मनी की कंपनियों के व्यवसाय और निवेश की सुविधा के लिये एक प्रक्रियागत व्यवस्था स्थापित करेंगे।’
मोदी ने कहा कि उनकी जर्मनी यात्रा का उद्देश्य न केवल जर्मनी के उद्योग को भारत में आमंत्रित करना है बल्कि उन्हें यह विश्वास दिलाना भी है कि ‘भारत में बेहतर खुला और स्थिर माहौल मिलेगा जो कि व्यवसाय करने में सरल होगा और उन्हें भारत में काम करने और निवेश में मेरा पूरा समर्थन मिलेगा।’
जर्मनी की चांसलर मर्केल ने अपने संबोधन में कहा कि दोनों देशों ने व्यापक आधार वाले रिश्ते विकसित करने का फैसला किया है। मर्केल ने कहा कि वह अक्तूबर में भारत की यात्रा करेंगी तब दोनों पक्ष आपसी आर्थिक सहयोग को और बढ़ाने पर सहमत हुये हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैं कई कैबिनेट सदस्यों को अपने साथ लाउंगी और तब राजनीतिक स्तर पर हमारे संबंधों पर समुचित रूप से गौर किया जायेगा।’ मोदी की तीन दिन की जर्मनी की यात्रा के अंत में जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों देशों में अपने बहुआयामी और परस्पर फायदे वाले संबंधों का विस्तार करने और रणनीतिक भागीदारी को आगे और मजबूत करने के लिये एक ठोस कार्ययोजना तैयार की है।
इससे पहले तीन देशों की यात्रा के दूसरे चरण में बर्लिन पहुंचे मोदी का समारोहपूर्वक भव्य स्वागत किया गया। मोदी ने मर्केल के साथ अपनी बातचीत के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘कल हैनोवर में उन्होंने (मर्केल ने) जर्मनी की व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिये भारत के शेर (मेक इन इंडिया का प्रतीक चिन्ह) का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है और मुझे विश्वास दिलाया है कि जर्मनी के कि राज्य चिन्ह गरुड़ की तरफ से अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी। मुझे विश्वास है कि पृथ्वी के राजा शेर और आकाश के राजा गरुड के बीच मजबूत भागीदारी होगी।’
दोनों नेताओं ने संयुक्त वक्तव्य में कहा है, ‘हम अक्तूबर 2015 में भारत में होने वाली तीसरे अंतर-सरकारी विचार विमर्श (आईजीसी) को लेकर उत्साहित हैं। हमारी रणनीतिक भागीदारी एक नये और अधिक सद्यन दौर में प्रवेश कर रही है।’ ‘हम एक दूसरे के विकास को दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिये परस्पर बल देने और उल्लेखनीय अवसर की पेशकश के तौर पर देखते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘हमारा साझा उद्देश्य जर्मनी के इंजीनियरिंग, सतत विकास के अनुभव, नवोन्मेष, कौशल और भारत में मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत, डिजिटल भारत तथा अन्य पहलों के जरिये उपलब्ध नये अवसरों के जरिये बेहतर तालमेल बिठाते हुये आर्थिक वृद्धि और सतत विकास को हासिल करना है।’ दोनों नेताओं ने कहा कि विदेश नीति और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर द्विपक्षीय बातचीत के विस्तार के तौर तरीकों को देख रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘भविष्य में अपनी भागीदारी को आगे बढ़ाते हुये हम जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा जैसी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिये मिलकर काम करेंगे।’ दोनों पक्षों ने विनिर्माण, कौशल विकास, शहरी विकास, पर्यावरण, रेलवे, नदियों की सफाई, अक्षय उर्जा, शिक्षा, भाषा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आपसी सहयोग को और आगे ले जाने के लिये सक्रिय होकर कदम उठाने पर भी सहमति जताई।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘स्वच्छ ऊर्जा के विकास में जर्मनी मजबूत भागीदार है। हम स्वच्छ और अक्षय उर्जा के लिये उपकरणों के विनिर्माण के मामले में भी आपका सहयोग चाहेंगे और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के समाधान के लिये अपने साझा प्रयासों को बढ़ाना चाहेंगे।’
उन्होंने कहा, ‘हम अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी तथा रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में भी आपसी सहयोग बढ़ाना चाहेंगे। मुझे भरोसा है कि जर्मनी की कंपनियां इसमें उत्साह से भाग लेंगी और आपकी सरकार उन्हें पूरा समर्थन देगी।’ मोदी ने कहा कि उन्होंने मर्केल के साथ अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों पर भी चर्चा की।
उन्होंने कहा, ‘भारत का यह विश्वास है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में यूरोप की आर्थिक गतिविधियां महत्वपूर्ण है और वैश्विक शांति के लिये यूरोप में स्थिरता जरूरी है। दोनों चुनौतियों के समाधान के लिये दुनिया नेतृत्व के लिये जर्मनी की ओर देखती हैं। मैं उन्हें ईरान के साथ बातचीत के सफल नतीजे के लिये बधाई देता हूं। यह पूरे क्षेत्र के लिये लाभदायक होगा। पश्चिम एशिया में अस्थिरता तथा हिंसा से देश में हमारे नागरिकों की सुरक्षा प्रभावित होती है।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम दोनों के लिये अफगानिस्तान में शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विकास महत्वपूर्ण है। इस सदी में एशिया-प्रशांत क्षेत्र जो दिशा लेगा, उसका पूरी दुनिया के लिये बड़ा महत्व है।’ सवालों का जवाब देते हुए मोदी ने कहा कि जर्मनी के शीर्ष उद्योगपतियों से चर्चा के दौरान उन्होंने इस बात को महसूस किया कि वे कौशल विकास, व्यवसायिक शिक्षा, प्रौद्योगिकी उन्ननयन तथा रक्षा विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में भारत के साथ काम करने को तैयार हैं।
इससे पहले, दिन में प्रधानमंत्री ने एलायंस के सीईओ ओलिवर बेएते से बर्लिन में मुलाकात की। उसके बाद उन्होंने जर्मनी के विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर स्टेनमियर से भेंट की। द्विपक्षीय बातचीत में नेताओं के साथ उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल था।