बर्लिन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने विभिन्न द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर बेहद सकारात्मक चर्चा की। यूरोप में हुए हालिया आतंकी हमलों की पृष्ठभूमि में चरमपंथ के अलावा बे्रग्जिट के परिणाम और व्यापार आदि मुद्दे इस बातचीत के केंद्र में रहे। बर्लिन के पास स्थित श्लोस मेसेबर्ग में कल अपनी अनौपचारिक बातचीत में दोनों नेताओं ने चीन की वन बेल्ट, वन रोड की पहल और जलवायु परिवर्तन मुद्दे पर भी विचार साझा किए। इस मुलाकात के बाद मोदी ने ट्वीट किया, चांसलर मर्केल के साथ बेहद अच्छी बातचीत हुई। (4 देशों की यात्रा के पहले चरण में मोदी जर्मनी पहुंचे, कहा- आपसी रिश्ते होंगे मजबूत)
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से इस मुलाकात के बारे में जारी बयान में कहा गया, बातचीत लगभग तीन घंटे तक चली और इसमें स्मार्ट सिटी, कौशल विकास और स्वच्छ उर्जा जैसे साझा हित के विभिन्न क्षेत्र शामिल थे। बातचीत में जीएसटी समेत भारत के आर्थिक विकास एजेंडे की सराहना की गई। जर्मनी में भारत की राजदूत मुक्ता दत्त तोमर ने कल रात एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, नेताओं की बातचीत में द्विपक्षीय एजेंडा शामिल रहा और इसमें इस बात पर भी चर्चा हुई कि किस तरह जर्मनी भारत के प्रमुख कार्यक्रमों में साझेदारी कर सकता है। बातचीत के दौरान भारत के सुधार एजेंडे की सराहना की गई, खास तौर पर जीएसटी की। साल 2015 के बाद से मोदी के जर्मनी के दूसरे द्विपक्षीय दौरे का उल्लेख करते हुए मुक्ता ने कहा कि भारत में व्यापार करने की आसानी और 2015 में भारत में जर्मन कारोबारियों को काम में मदद के मकसद से स्थापित त्वरित व्यवस्था की जर्मन पक्ष ने सराहना की है।
उन्होंने कहा, पिछले दो वर्षों में जर्मनी से दो अरब डॉलर का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश हुआ है। आंकड़े खुद बोलते हैं। दोनों पक्षों के बीच तीन घंटे चली लंबी बातचीत में क्षेत्रीय और अंतर-वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की गई। भारत और जर्मनी के बीच कुछ देर प्रतिनिधिमंडल स्तर की और कुछ देर मोदी एवं मर्केल के बीच अकेले में वार्ता हुई। मुक्ता ने कहा, दोनों नेताओं की बातचीत में ब्रेग्जिट के नतीजों और इसका भारत एवं जर्मनी पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर भी चर्चा हुई। उनके अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात को दोहराया कि भारत यूरोपीय संघ के उस सामंजस्य को कितना महत्व देता है जो वैश्विक राजनीति में स्थिरता का एक प्रमुख कारक है।
मुक्ता ने कहा कि चरमपंथ और आतंकवाद के मुद्दे तथा इनसे निपटने में दोनों देशों के अनुभव पर भी चर्चा की गई। यूरोप में हाल के आतंकी हमलों का भी इस संदर्भ में उल्लेख किया गया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में शांति और अफगान नीत एवं स्वामित्व वाली सुलह एवं विकास प्रकिया को लेकर बातचीत की गई। प्रधानमंत्री मोदी ने अफगानिस्तान में जर्मनी की मौजूदगी और वहां प्रयासों के समायोजन को लेकर उसकी सराहना की। इस महीने बीजिंग में आयोजित बेल्ट एंड रोड फोरम की बैठक को लेकर भी दोनों नेताओं में बातचीत हुई और इस दौरान जर्मन चांसलर ने इसमें जर्मनी की भागीदारी को स्पष्ट किया तो भारत ने चीन के इस कदम के खिलाफ अपना रख दोहराया।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को लेकर भारत के विरोध के संदर्भ में भारतीय राजदूत ने कहा, इस मुद्दे पर हमारा विरोध सर्वविदित है। मोदी आज इंडिया-जर्मनी इंटरगर्वमेंटल कंसलेटेशंस (IGC) के तहत एंजेला मर्केल के साथ औपचारिक बातचीत करेंगे जिसमें विग्यान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन, वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण, उर्जा मंत्री पीयूष गोयल और विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर सहित वरिष्ठ मंत्रियों का प्रतिनिधिमंडल शामिल होगा। जर्मन चांसलर के कार्यालय में प्रधानमंत्री मोदी का सैन्य सम्मान के साथ रस्मी स्वागत किया जाएगा। इसके बाद वह कई राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर मर्केल के साथ बातचीत करेंगे।
भारत-जर्मन संबंधों में नया अध्याय शुरू करने के लिए आईजीसी में दोनों नेताओं के कई समझौतों को मूर्त रूपे देने और सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर करने की संभावना है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, कई सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए जाने की संभावना है। इससे निश्चित तौर पर दायरा बढ़ेगा और जर्मनी के साथ हमारे द्विपक्षीय सहयोग के पटल का विस्तार होगा। भारत और जर्मनी के बीच जलवायु परिवर्तन, उर्जा, बुनियादी ढांचे और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में 25 से अधिक कार्य समूह हैं। यूरोपीय संघ में जर्मनी भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और FDI का एक प्रमुख स्रोत है।
मोदी और चांसलर मर्केल आज भारत-जर्मन व्यापार शिखर सम्मेलन-2017 की शुरूआत करने से पहले कारोबारी जगत के दिग्गजों के साथ बैठक करेंगे। मोदी जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर स्टीनमीयर के साथ शिष्टाचार मुलाकात के साथ जर्मनी दौरे का समापन करेंगे जहां से वह शाम को स्पेन रवाना होंगे।