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आर्कटिक क्षेत्र में रूस और चीन पर लगाम कसने के लिए अमेरिका उठाएगा यह बड़ा कदम!

उन्होंने कहा कि आर्कटिक एक बीहड़ क्षेत्र है और इसका मतलब यह नहीं है कि इसे ऐसा स्थान बना दिया जाए जहां कोई कानून-कायदा न हो।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : May 07, 2019 12:51 IST
Mike Pompeo warns of the dangers of Russian and Chinese activities in the Arctic | AP File
Mike Pompeo warns of the dangers of Russian and Chinese activities in the Arctic | AP File

रोवानेमी: अमेरिका ने सोमवार को कहा कि वह आर्कटिक में रूस और चीन के ‘आक्रमक रूख’ पर लगाम कसने के लिए संसाधन से समृद्ध क्षेत्र में अपनी मौजूदगी मजबूत करने की योजना बना रहा है। उत्तरी फिनलैंड के रोवानेमी में अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने चेताया कि अपने तेल, गैस, खनिज पदार्थ और मछलियों के जखीरे के चलते ‘क्षेत्र वैश्विक शक्ति और होड़’ का केंद्र बन गया है। उन्होंने कहा कि आर्कटिक एक बीहड़ क्षेत्र है और इसका मतलब यह नहीं है कि इसे ऐसा स्थान बना दिया जाए जहां कोई कानून-कायदा न हो।

आर्कटिक परिषद के 8 सदस्यों की बैठक की पूर्व संध्या पर अमेरिकी विदेश मंत्री पॉम्पिओ ने चीन और रूस को अपने निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि अन्यत्र हिस्सों में चीन की आक्रमकता की जो मिसाल है वो हमें बताएगी कि वह आर्कटिक में कैसा व्यवहार करेगा। पॉम्पिओ ने पूछा, ‘क्या हम चाहते हैं कि आर्कटिक सागर नया दक्षिण चीन सागर बन जाए जहां का सैन्यीकरण हो और क्षेत्रीय दावों की होड़ हो?’ आपको बता दें कि चीन का दक्षिणी चीन सागर में अधिकार क्षेत्र को लेकर कई देशों के साथ विवाद चल रहा है। अमेरिका और रूस आर्कटिक परिषद के सदस्य हैं जबकि चीन के पास केवल पर्यवेक्षक का दर्जा है। 

पॉम्पिओ के मुताबिक, चीन ने क्षेत्र में 2012-2017 के बीच 90 अरब डॉलर का निवेश किया है और उसकी मंशाा उत्तरी समुद्री मार्ग का पूरा लाभ लेने की है। अपने भाषण में पॉम्पिओ ने रूस की ‘ भकड़ाने वाली कार्रवाई’ की निंदा की और मॉस्को पर क्षेत्र का फिर से सैन्यीकरण करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के शासन में मॉस्को ने क्षेत्र में अपनी मौजूदगी मजबूत की है और USSR के विघटन के बाद छोड़ दिए गए कई अड्डों की दोबारा शुरूआत की है।

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