हेलसिंकी: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी प्रेजिडेंट व्लादिमिर पुतिन के बीच सोमवार को पहली औपचारिक मुलाकात होने जा रही है। फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में दोनों नेताओं की इस मुलाकात पर सारी दुनिया की नजरें टिकी हैं। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में ट्रंप और पुतिन के बीच ईरान, सीरिया, अमेरिकी चुनावों में रूसी हस्तक्षेप और यूक्रेन के मुद्दे पर बात हो सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस मुलाकात के नतीजे विश्व शांति को प्रभावित करने की ताकत रखते हैं।
‘दुनिया की शांति ट्रंप-पुतिन पर निर्भर’
क्रोएशिया की राष्ट्रपति कोलिंदा ग्रैबर कितारोविक ने उम्मीद जताई कि अमेरिका और रूस के राष्ट्रपति ‘जिम्मेदारी’ से काम करेंगे तथा और अपनी पहली शिखर वार्ता के दौरान दोनों याद रखेंगे कि दुनिया की शांति उनपर निर्भर है। हालांकि उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बुधवार और गुरुवार को नाटो सहयोगियों के साथ बैठक में आक्रामक व्यवहार पर सवालों को नजरअंदाज किया। उन्होंने कहा, ‘यह उनका व्यक्तित्व है। मैं इसे उनके विरुद्ध नहीं मानती।’ उन्होंने कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ ट्रंप की बैठक अंतरराष्ट्रीय तनावों को भड़काने के बजाय उन्हें शांत कर सकती है।
बैठक से पहले ट्रंप ने रूस, EU और चीन को बताया ‘दुश्मन’
पुतिन के साथ बहुप्रतीक्षित बैठक से एक दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूस, चीन और EU को अमेरिका के दुश्मन देश करार दे दिया। यह पूछे जाने पर कि वैश्विक परिदृश्य में उन्हें कौन अमेरिका का दुश्मन लगता है, उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमारे बहुत दुश्मन हैं। मुझे लगता है कि यूरोपीय संघ हमारा दुश्मन है। उन्होंने व्यापार क्षेत्र में हमारे साथ जो किया। आप उनके बारे में नहीं सोचेंगे लेकिन वे हमारे दुश्मन हैं। रूस कुछ मायनों में दुश्मन है। चीन आर्थिक तौर पर दुश्मन है, यकीनन ये दुश्मन हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि ये बुरे हैं। इसका मतलब है कि ये प्रतिस्पर्धी हैं।’
ट्रंप को हेलसिंकी सम्मेलन से खास उम्मीद नहीं
ट्रंप को पुतिन के साथ होने वाले अहम शिखर सम्मेलन से कुछ खास उम्मीदें नहीं हैं। CBC न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘ इस सम्मेलन से कुछ भी बुरा नहीं होने वाला है और हो सकता है कि कुछ अच्छा निकल आए।’