लंदन: ब्रिटेन की जनता यूरोपियन यूनियन में बने रहने और न बने रहने के फैसले पर मतदान कर चुकी है। अब जनता के फैसले पर मतगणना जारी है। प्राप्त मौजूदा रूझानों के आधार पर लीवर्स (यूरोपियन यूनियन को छोड़ने के पक्षधर) लीड लेते दिख रहे हैं और रिमेनर्स (यूरोपियन यूनियन में बने रहने के पक्षधर) उनसे थोड़ा पीछे हैं। अंतिम राष्ट्रीय परिणाम की आधिकारिक घोषणा ब्रिटेन के निर्वाचन आयोग की प्रमुख मतगणना अधिकारी जेनी वाटसन मैनचेस्टर टाउन हॉल से करेंगी।
गौरतलब है कि अगर ब्रिटेन ईयू से अलग होता है तो उसे आर्थिक परिप्रेक्ष्य में नुकसान उठाना पड़ सकता है। आपको बता दें कि इससे पहले भी ब्रिटेन में इस तरह का जनमत संग्रह हो चुका है जिसमें लोगों ने ईयू में बने रहने को फैसले पर हामी भरी थी।
भारत और पाकिस्तान के मतदाता मुद्दे पर बंटे:
भविष्य में ईयू के साथ ब्रिटेन के संबंधों पर निर्णय लेने वाले जनमत संग्रह से पहले ब्रिटेन इलेक्शन के हालिया अध्ययन के अनुसार भारतीय मूल के 51.7 प्रतिशत मतदाता इसके विरोध में हैं जबकि 27.74 मतदाता ईयू छोड़ने के समर्थन में हैं। पिछले महीने कराए गए अध्ययन के अनुसार भारतीय मूल के ऐसे मतदाताओं की भी बड़ी संख्या (16.85 प्रतिशत) है जो नहीं जानते की श्रेणी में आते है। दक्षिण एशियाई लोगों के आंकड़े भी इसी प्रकार हैं।
पाकिस्तानी मूल के 56 प्रतिशत लोग ब्रेक्जिट के खिलाफ और 26 प्रतिशत इसके समर्थन में है और बांग्लादेशी मूल के 42 प्रतिशत इसके खिलाफ और 17 प्रतिशत इसके समर्थन में हैं। ब्रिटेन में भारतीय मूल के हाई प्रोफाइल राजनेता इस मामले पर मतभेद को दर्शाते है। ब्रिटेन की रोजगार मंत्री प्रीती पटेल और इंफोसिस प्रमुख नारायण मूर्ति के दामाद रिषि सुनाक ब्रेक्जिट के समर्थन में है जबकि कीथ वाज एवं वीरेंद्र शर्मा जैसे सांसद इसमें बने रहने के पक्ष में हैं।
क्या है BREXIT (ब्रैग्जिट): द ग्रेट ब्रिटेन के EU से एग्जिट को ही ब्रैग्जिट कहा जा रहा है। यानी कभी दुनिया पर राज करने वाले ब्रिटेन अब ईयू की शर्तों पर नहीं बल्कि अपनी शर्तों पर चलना चाहता है और वह अपनी खोई हुई वह संप्रभुता को वापस पाना चाहता है, जिसके खोने की वह दलील देकर यूनियन से बाहर होने का तर्क दे रहा है। इसी मुद्दे पर लोग दो धड़ों में बंट चुके हैं।
लीवर्स: ये लोग ईयू से अलग होने की बात कह रहे हैं। वो नहीं चाहते कि अब ब्रिटेन ईयू का हिस्सा रहे।
रिमेनर्स: वहीं रिमेनर्स चाहते हैं कि ब्रिटेन पहले की तरह ईयू का हिस्सा बना रहे क्योंकि ऐसा आर्थिक लिहाज से बेहतर रहेगा।
क्या है ईयू: दरअसल ईयू 28 देशों का एक ग्रुप है। जो कि इन देशों के बीच मुक्त व्यापार, अर्थव्यवस्था, तकनीक, विवाद और अन्य विषयों पर इनके बीच आपसी समन्वय कराने वाले एक नियामक के तौर पर काम करता है। इसकी अपनी एक कोर्ट और संसद है। साल 1975 में छह देशों की रोम संधि के जरिए यूरोपियन कम्युनिटी की शुरूआत हुई थी जिसमें बाद में कई यूरोपीय देश जुड़ते चले गए और यह यूरोपियन यूनियन बन गया।