लंदन: भारत ने आतंकवाद एवं अति चरमपंथ के समर्थन को राष्ट्रमंडल समूह की सदस्यता के अयोग्य ठहराने के आधारों में शामिल करने की मांग की। इस समय किसी सदस्य राष्ट्र को राष्ट्रमंडल समूह से हटाने के आठ आधार हैं जिनपर समूह उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। इनमें लोकतांत्रिक मूल्यों एवं सुशासन का उल्लंघन शामिल है। एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि लंदन में राष्ट्रमंडल मंत्रिस्तरीय कार्रवाई समूह :सीएमएजी: की बैठक में भारत ने आतंकवाद एवं अति चरमपंथ के समर्थन को जोड़ते हुए इन आधारों को बढ़ाकर नौ करने पर जोर दिया।
भारत साथ ही बांग्लादेश के खिलाफ कार्रवाई को सफलतापूर्वक एजेंडे से बाहर रखने में कामयाब रहा जिसके लिए पाकिस्तान ने बैठक में ठोस प्रयास किए। बैठक में विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। सूत्र ने कहा, एक तरह से यह एक बड़ी जीत है। पश्चिम में स्थित हमारे मित्रों (पाकिस्तान) ने बांग्लादेश को (मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए) एजेंडा में शामिल करने की कोशिश की लेकिन हमने इसे कामयाब नहीं होने दिया।
भारत साथ ही मालदीव को लेकर भी एक अहम भूमिका निभाएगा जिसने लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर करने के लिए सीएमएजी द्वारा नोटिस देने के बाद पिछले साल राष्ट्रमंडल छोड़ दिया था। आज की बैठक में इस बात को लेकर सहमति बनी कि क्षेत्र के देश मालदीव के साथ संपर्क बनाए रखेंगे ताकि उसे राष्ट्रमंडल मंच पर वापस लाया जा सके, इसकी कोशिश हो। अकबर ने कहा, राष्ट्रमंडल सरकारों के बीच बैठक का एक अभ्यास मात्र ना रहे। यह ज्यादा जनकेंद्रित बने।