पेरिस: भारत ने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी को औद्योगीकरण युग से पूर्व के तापमान स्तर के 1.5 डिग्री सेल्सियस के भीतर लाने के लक्ष्य के लिए जरूरी है कि विकसित देश ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन व्यापक रूप से घटाएं और विकासशील देशों को वित्तीय मदद को बढ़ाया जाए। पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, तापमान से संबंधित दीर्घकालीन लक्ष्य को लेकर हम जलवायु संबंधी ऊंची महत्वाकांक्षा के लिए मांगों को लेकर संवेदनशील हैं। मैं 1.5 डिग्री सेल्सियस से संबधित मांग को पूरी तरह समझता हूं क्योंकि भारत में भी 1300 से अधिक द्वीप हैं।
उन्होंने कहा, बहरहाल, 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य के लिए जरूरी होगा कि विकसित देश के अपने यहां उत्सर्जन को व्यापक रूप से कम करें और विकासशील देशों को अपना वित्तीय सहयोग व्यापक रूप से बढ़ाएं। यह नहीं हो रहा है। जलवायु परिवर्तन की वार्ता के क्रम में जो एक नया और छोटा मसौदा पेश किया गया उसमें वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी को को 1.5 डिग्री सेल्सियस के भीतर लाने के लक्ष्य के उल्लेख किया गया। बेसिक देश इस मांग को स्वीकारने का विकल्प खुला रचा है और यह भी कहा कि वे इस पर जल्द सहमति तक पहुंचने की उम्मीद के साथ चर्चा कर रहे हैं।