लंदन: ब्रिटेन में वर्ष 2016 में हुआ ऐतिहासिक मतविभाजन यूरोपीय संघ से अलग होने के पक्ष में रहा। इसका असर कहीं अधिक व्यापक रहा और इस मुद्दे पर यहां नेतृत्व में बदलाव तक हो गया। इस बदलाव में सत्ता एक महिला प्रधानमंत्री के हाथ में आ गई और यूरोप से बाहर उनके पहले द्विपक्षीय दौरे में वह भारत आईं जो दोनों देशों के बीच संबंध गहरे होने का संकेत था।
यहां जनमत संग्रह 23 जून को हुआ था। टेरीजा मे ने सत्ता संभालने के बाद अपने पहले दौरे के लिए भारत को चुना जिसका सकारात्मक संदेश गया लेकिन छात्र और पेशेवर वीजा को लेकर उनकी सरकार द्वारा हाल ही में की गई कार्रवाई को भारत के पक्ष में नहीं कहा जा सकता। जनमत संग्रह में ब्रेग्जिट इस साल का सबसे चर्चित शब्द बन गया। जनमत संग्रह के विपरित परिणामों से दुखी प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इस्तीफा दे दिया जिससे दुनियाभर के बाजार मुंह के बल जा गिरे। इसके साथ ही आप्रवासन और पूरे यूरोप में दक्षिणपंथ के उभार जैसे मुददों पर ताजा बहस शुरू हो गई।
यूरोपीय संघ की तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक ब्रिटेन और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौता होने की संभावना के चलते भारत-ब्रिटेन संबंधों में शुरूआती संकेत सकारात्मक थे। ब्रिटेन 28 देशों के आर्थिक संघ की चार दशक पुरानी सदस्यता की बेडि़यों से अब मुक्त हो चुका था। सितंबर में नई प्रधानमंत्री ने हाउस ऑफ कॉमन्स में कहा, यूरोपीय संघ छोड़ने के बाद हम नए व्यापार समझौते करेंगे। भारत, मैक्सिको, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर के नेताओं ने कहा है कि वे कारोबार के अवरोधों को दूर करने संबंधी बातचीत का स्वागत करेंगे। नवंबर में टेरीजा भारत दौरे पर आईं। इसके एक साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन दौरे पर गए थे जो कि लगभग एक दशक मे किसी भारतीय प्रधानमंत्री का वहां का पहला दौरा था।
भारत दौरे से पहले टेरीजा मे ने कहा था कि इस दौरे में वह पहले से मौजूद रणनीतिक साझेदारी के महत्व की पुन: पुष्टि करेंगी जो दोनों देशों के लिए काफी लाभदायक होगा और प्रधानमंत्री मोदी के साथ मिलकर कारोबार, निवेश, प्रतिरक्षा और सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को और आगे बढ़ाने की दिशा में मजबूत कदम उठाऐंगी। लेकिन इसके विपरित, ब्रिटेन में प्रवासियों के प्रवेश को रोकने के उनकी सरकार के व्यापक प्रयासों के तहत छात्र और पेशेवर वीजा शर्तें कड़ी कर दी गई। 24 नवंबर को टियर दो इंफ्रा-कंपनी ट्रांसफर :आईसीटी: श्रेणी के तहत नए और कड़े नियमों की घोषणा हुई।
लगभग 90 फीसदी भारतीय आईटी कर्मियों को इसी श्रेणी के तहत वीजा जारी किए जाते हैं। इस वीजा श्रेणी की शर्तों को सख्त करना और भारतीयों समेत गैर ईयू आवेदकों को जारी किए जाने वाले छात्र वीजा की संख्या घटाकर आधी कर देने की संभावना को भारत के पक्ष में नहीं कहा जा सकता। हालांकि मे ने अपने दौरे में कहा कि ब्रिटेन और भारत के लिए और अवसर हौंगे और स्पष्ट संदेश है कि ब्रिटेन कारोबार के लिए और ज्यादा तैयार है।
ब्रिटेन की तत्कालीन रोजगार मंत्री और कैमरन की इंडियन डायस्पोरा चैंपियन प्रीति पटेल ने कहा था कि यूरोपीय संघ में सदस्यता बनी रहने पर यूरोप में बड़े पैमाने पर आप्रवासन होगा जिसके परिणामस्वरूप भारतीय शेफों को वीजा देने से इनकार कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा था, ब्रिटेन में करीब 12,000 भारतीय रेस्टोरेंट हैं लेकिन अगर हम ईयू में बने रहते हैं तो इस क्षेत्र पर दबाव और जोखिम पड़ेगा।
ब्रिटेन में सबसे लंबे समय तक काम करने वाले भारतीय मूल के सांसद कीथ वाज ने पटेल पर फूट डालो और राज करो की नीति अपनाने का आरोप लगाया। विपक्षी लेबर पार्टी के सांसद वाज ने कहा, मैं प्रीति के इस दावे से नाराज हूं कि ईयू छोड़कर और पौलेंड तथा कहीं और के अप्रवासियों के लिए दरवाजे बंद कर देने से ब्रिटेन के करी हाउसेस को बचाया जा सकता है।