लंदन: ब्रिटेन की कंजरवेटिव पार्टी ने देश के आम चुनाव में अप्रत्याशित रूप से पूर्ण बहुमत के साथ जीत हासिल की है और अब पार्टी अगले पांच सालों तक फिर सत्ता में बनी रहेगी। लेकिन इस बार पार्टी किसी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन में नहीं, बल्कि अपने स्वयं के बूते पर सत्ता में रहेगी। कंजरवेटिव पार्टी की इस उपलब्धि पर राजनीतिक पंडित सन्न रह गए हैं। ब्रिटेन की राजनीति में कंजरवेटिव सर्वाधिक भारत सर्मथक पार्टी है। इनके चुनावी घोषणा पत्र में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता, भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते को समर्थन देना शामिल है, जबकि किसी अन्य पार्टी ने अपने घोषणा पत्रों में भारत का कोई उल्लेख नहीं किया है।
बड़ी संख्या में भारतीय मूल के मतदाताओं ने वाज भाई-बहनों कीथ और वलेरी सहित वीरेंद्र शर्मा और सीमा मल्होत्रा के पक्ष में अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
स्कॉटलैंड ने अलगाववादी स्कॉटिश नेशनल पार्टी (एसएनपी) के पक्ष में मतदान किया। एसएनपी ने इस क्षेत्र में 59 में से 56 सीटों पर जीत दर्ज की। पिछले साल, एसएनपी स्वतंत्र जनमत संग्रह में विफल रही थी, लेकिन इस बार उनकी भारी जीत एक चेतावनी की तरह है कि अब स्कॉटलैंड निवासी यूके से अलग हो सकते हैं।
लेबर पार्टी के लिए यह बहुत ही घातक परिणाम रहे। लेबर पार्टी के नेता एड मिलिबैंड ने कहा, "स्पष्ट रूप से यह लेबर पार्टी के लिए बहुत ही निराशाजनक और मुश्किल भरी रात है।" ऐसा भी अंदेशा है कि वह जल्द ही अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।