बर्लिन: जानी-मानी महिला अधिकार कार्यकर्ता और वकील सीरान आतिश का एक ऐसी मस्जिद सपना शुक्रवार को पूरा होने वाला है जहां महिलाएं और पुरुष, सुन्नी और शिया, आम लोग और समलैंगिक एक साथ इबादत कर सकें। मूल रूप से तुर्की के कामगारों की बेटी 54 वर्षीय आतिश बर्लिन में बनी इस मस्जिद के एक निर्माणाधीन कमरे में प्रवेश करते ही भाव-विभोर हो उठीं। उन्होंने कहा, ‘यह सपना सच होने जैसा है।’ इस मस्जिद को एक प्रोटेस्टेंट चर्च के अंदर बनाया गया है।
सीरान आतिश। (AP)
आतिश ने जर्मनी में प्रगतिशील मुस्लिमों के लिए इस तरह की इबादतगाह के लिए 8 साल तक लड़ाई लड़ी। वह ऐसा स्थान चाहती थीं जहां मुस्लिम अपने धार्मिक मतभेदों को भूलकर अपने इस्लामी मूल्यों पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि जर्मनी में उदारवादी मुस्लिमों के लिए यह अपने तरह की पहली मस्जिद है। आतिश जब सिर्फ 6 साल की थीं तब उनका परिवार तुर्की से आकर जर्मनी में बस गया था।
इस मस्जिद को इब्न रूश्द गोयथे नाम दिया गया है। इस मस्जिद का नाम इ्स्लामिक फिलॉसफर इब्न रूश्द के नाम पर रखा गया है। यहां पर महिलाओं को स्कार्फ पहनने की बाध्यता नहीं होगी। वे इमामों की तरह खुत्बा या उपदेश दे सकेंगी और अजान दे सकेंगी।