पेरिस: फ्रांस की पत्रिका ‘शार्ली हेब्दो’ का कहना है कि बलात्कार के आरोपों का सामना कर रहे इस्लामी शोधार्थी तारिक रमदान के कार्टून को लेकर उसके कर्मचारियों को एक बार फिर जान से मार डालने की धमकी मिली है। इस पत्रिका के कार्यालय पर वर्ष 2015 में पैगम्बर मोहम्मद के कार्टून के प्रकाशन को लेकर जानलेवा जिहादी हमला हो चुका है। अब इस पत्रिका ने गत बुधवार के अंक में रमदान का यह कहते हुए एक कार्टून प्रकाशित किया है कि ‘‘मैं इस्लाम का छठा स्तंभ हूं।’’ रमदान स्विस अकादमिक हैं, ऑक्सफोर्ड के प्रोफेसर हैं और फ्रांस में उनकी छवि रूढ़ीवादी इस्लामी बुद्धिजीवी की है। हॉलीवुड के फिल्म निर्माता हार्वे वेन्स्टेन के मामले के बाद सामने आ रहे यौन उत्पीड़न के आरोपों के बीच, दो महिलाओं ने रमदान पर बलात्कार का आरोप लगाया है। (चीन का सबसे अमीर भिखारी, बच्चों को पढ़ाता है महंगे स्कूल में)
बहरहाल, 55 वर्षीय रमदान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘‘यह मेरे विरोधियों द्वारा चलाया गया झूठ का अभियान है।’’ पत्रिका ‘शार्ली हेब्दो’ के आवरण पृष्ठ पर लाल अक्षरों में ‘‘बलात्कार’’ लिखा है। उसके नीचे लिखा है ‘‘तारिक रमदान का बचाव।’’ एक न्यायिक सूत्र ने बताया कि कल पेरिस के अभियोजन कार्यालय ने पत्रिका के कर्मियों को मिली जान से मार डालने की धमकी के दावे की पुलिस जांच शुरू की। उसने बताया कि ‘‘लिखित में मिली धमकियों’’ तथा ‘‘आतंकवाद के कृत्य के महिमामंडन’’ की जांच की जाएगी। पत्रिका के संपादक लॉरेन्ट ‘रिस’ सॉरिसेउ ने बताया कि वर्ष 2015 में पत्रिका के कार्यालय में हुए जिहादी हमले के बाद धमकियां और घृणा वाले मेल आने का सिलसिला थमा नहीं है। इस हमले में 12 लोगों को गोली मार दी गई थी।
उन्होंने यूरोप 1 रेडियो को बताया कि कभी कभी सोशल मीडिया पर भी धमकियां मिलती हैं। ‘‘यह जानना हमेशा मुश्किल होता है कि ये धमकियां गंभीर हैं या नहीं, लेकिन ऐहतियात के तौर पर हम उन्हें गंभीरता से लेते हैं।’’ साल 2015 के हमले की जिम्मेदारी अलकायदा ने ली थी। उसका कहना था कि इस्लाम में निषिद्ध होने के बावजूद पत्रिका ने पैगम्बर मोहम्मद का कार्टून प्रकाशित किया जिसकी वजह से उसके जिहादी पत्रिका को सबक सिखाना चाहते थे। हमले के बाद, खास तौर पर बार्सीलोना हमले के पश्चात, ‘शार्ली हेब्दो’ कार्टूनों को लेकर लगातार विवादों में घिरती रही। एक कार्टून इटली में आए भूकंप पर भी था जिसमें करीब 300 लोग मारे गए थे। इस्लाम के पांच स्तंभ क्रमश: आस्था, नमाज, खैरात, रोजा और मक्का की यात्रा हैं।