बर्लिन: पनामा लीक्स के चलते यूरोपीय संघ ने एक अधिकारी को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर पनामा और दूसरे देश मनी लॉन्डरिंग और कर चोरी से लड़ने में पूरा सहयोग नहीं करेंगे तो उन्हें प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। इस तरह का बयान बड़ी संख्या में वे आंकड़े जारी होने के बाद आया है, जिनमें पाया गया है कि यह छोटा सा देश धन छिपाने का इरादा रखने वाले लोगों के लिए अब भी एक प्रमुख ठिकाना बना हुआ है।
पनामा की विधि कंपनी मोसैक फोंसेका के 1.15 करोड़ दस्तावेजों में पाया गया कि उसने हजारों लोगों और कंपनियों को कम कर वाले देशों में छद्म कंपनियां खोलने और विदेशी खाते खोलने में मदद की। चूंकि ऐसे खाते अक्सर संपत्तियों के मालिक का नाम गुप्त रखते हैं, ऐसे में इन्हें कर से बचने, धनशोधन के लिए या रिश्वत देने के लिहाज से सबसे उपयुक्त जरिया माना जाता है।
कुल 28 देशों की सदस्यता वाले यूरोपीय संघ के आर्थिक मामलों के अध्यक्ष पियरे मोस्कोविकी ने कहा, ‘इस मामले में जो धनराशि, जिन लोगों के नाम और अधिकार क्षेत्रों की बात सामने आई है, वे वाकई चौंकाने वाले हैं।’ पनामा को यूरोपीय संघ ने एक ऐसे देश के रूप में सूचीबद्ध कर रखा है, जो कर मामलों में सहयोग नहीं कर रहे हैं। मोस्कोविकी ने पनामा से अपील की कि ‘‘वह इस संदर्भ में अपने रूख पर दोबारा सोचे।’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि वे बदलने से इंकार करते हैं तो यूरोपीय संघ को उन पर उपयुक्त प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार रहना चाहिए।’ इस प्रकरण के सामने आने के बाद आइसलैंड के नेता की कुर्सी जा चुकी है और अर्जेंटीना एवं यूक्रेन के राष्ट्रपतियों, चीन के वरिष्ठ नेताओं, मशहूर अभिनेताओं, खिलाड़ियों और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दोस्तों के लेन-देन को लेकर सवाल उठ चुके हैं। कुछ का आरोप है कि पुतिन को ऐसे खातों से अप्रत्यक्ष तौर पर लाभ पहुंचा है।