ब्रसेल्स: मंगलवार को यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस (ईसीजी) ने अपने फैसले में जर्मनी के विश्वविद्यालयों में 'सुरक्षा के मद्देनजर संवेदनशील विषय' पढ़ने के लिए आवेदन करने वाली एक ईरानी छात्रा के वीजा पर प्रतिबंध कायम रखा। एक पत्रिका में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, इस छात्रा ने एक ऐसे विश्वविद्यालय से मास्टर्स की डिग्री हासिल की है, जो यूरोपीय संघ (ईयू) के प्रतिबंधात्मक नियमों के अधीन है, क्योंकि वह विश्वविद्यालय ईरानी सरकार का समर्थक है। सिर्फ इतना ही नहीं छात्रा ने जर्मनी में मोबाइल प्रणालियों की सुरक्षा और उनके प्रोटोकॉल्स पर विशेष ध्यान देते हुए सूचना प्रौद्योगिकी सुरक्षा में डॉक्ट्रेट के लिए छात्रवृत्ति हासिल की है।
- रूस मेट्रो में हुए हमले के पीछे जिम्मेदार था किर्गिस्तान का आत्मघाती हमलावर
- पुतिन ने की सेंट पीटर्सबर्ग मेट्रो स्टेशन पर पुष्पांजलि अर्पित
- 71 साल साथ रहे जीवनसाथी, सिर्फ 4 मिनट के अंतर पर छोड़ दी दुनिया
अदालत ने अपने फैसले में कहा, "अदालत का इस मामले में मानना है कि पश्चिमी देशों में गोपनीय सूचनाओं का संग्रह, आंतरिक दमन या आमतौर पर मानवाधिकारों का उल्लंघन सार्वजनिक सुरक्षा कायम रखने के उद्देश्य के विपरीत हैं।" ईसीजे के अनुसार, राष्ट्रीय प्रशासन को सार्वजनिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वीजा खारिज करने का अधिकार है, हालांकि वीजा खारिज करने के लिए उपयुक्त कारण देना जरूरी है।
जर्मनी की सरकार ने अपने फैसले का यह तर्क देते हुए सही ठहराया है कि छात्रा जो ज्ञान हासिल करेगी, बाद में ईरान में यूरोप की गोपनीय जानकारी एकत्रित करने जैसे दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के लिए उसका दुरुपयोग किया जा सकता है। जर्मनी की अदालत ने पहले छात्र को वीजा देने से इनकार कर दिया था, उसने सुरक्षा प्रयोजनों के लिए इस प्रकार वीजा खारिज करने के संबंध में यूरोपीय देशों के दायरे को स्पष्ट करने के लिए ईसीजे से सलाह ली थी, जो शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट वैश्विक केंद्र के रूप में ईयू के प्रचार में हस्तक्षेप न करे।
ईसीजे ने अपने फैसले में कहा कि इसका फैसला राष्ट्रीय प्रशासनों पर निर्भर करता है कि क्या कोई वीजा आवेदन सुरक्षा के लिए खतरा है और जर्मनी की अदालत को ही इस पर फैसला लेना होगा कि क्या छात्रा का वीजा खारिज करना न्यायोचित है।