ब्रसेल्स: यूरोपीय संघ (EU) ने साइबर हमलों पर पहली बार प्रतिबंध लगाते हुए उन्हें कथित रूसी सैन्य एजेंटों, चीनी साइबर जासूसों और उत्तर कोरिया की एक कंपनी समेत कुछ अन्य संगठनों पर लागू किया है। जिन 6 लोगों और 3 समूहों पर ये प्रतिबंध लगाए गए हैं उनमें रूस की GRU सैन्य खुफिया एजेंसी भी शामिल है। यूरोपीय संघ मुख्यालय ने एक बयान में उन्हें 2017 के ‘वाना क्राय’ रैंसमवेयर और ‘नॉटपेट्या’ मालवेयर हमलों तथा ‘क्लाउड हॉपर’ साइबर जासूसी अभियान के लिए जिम्मेदार बताया है।
EU विदेश नीति प्रमुख जोसेफ बोरेल ने गुरुवार को कहा था कि ये प्रतिबंध ‘व्यक्तियों के संबंध में यात्रा पर और संपत्तियों के लेन-देन पर रोक है तथा कंपनियों एवं निकायों की संपत्ति के हस्तांतरण पर रोक है। इसके साथ ही सूचीबद्ध व्यक्तियों और कंपनियों एवं निकायों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर निधि उपलब्ध कराना भी प्रतिबंधित किया गया है।’ GRU सदस्यों के तौर पर पहचाने गए 4 रूसी नागरिकों पर नीदरलैंड के संगठन ‘प्रोहिबिशन ऑफ केमिकल वेपन्स’ या OPCW का वाई-फाई नेटवर्क हैक करने का आरोप है इस संगठन ने सीरिया में रसायनिक हथियारों के प्रयोग की जांच की थी।
2018 में हुए इस हमले को डच अधिकारियों ने विफल कर दिया था। GRU पर नोटपेट्या के लिए भी प्रतिबंध लगाए गए हैं जिसने यू्क्रेन के साथ कारोबार करने वाली कंपनियों को निशाना बनाया था और विश्व भर में इसके कारण अरबों डॉलर का नुकसान हुआ था तथा 2015 और 2016 में यूक्रेन की पावर गिर्ड पर साइबर हमले भी किए गए। वहीं प्रतिबंधित 2 चीनी नागरिकों पर ‘ऑपरेशन क्लाउड हॉपर’ में संलिप्तता का आरोप है जिसके बारे में ईयू का कहना है कि इसने क्लाउड सेवा प्रदाताओं के जरिए 6 द्वीपों की कंपनियों को प्रभावित किया था।
EU ने कहा कि इन नागरिकों ने ‘व्यावसायिक दृष्टि से संवेदनशील डेटा तक अनधिकृत पहुंच बनाई थी जिससे काफी आर्थिक नुकसान हुआ था।’ इसके अलावा उत्तर कोरियाई कंपनी चोसून एक्सपो पर प्रतिबंध लगाए गए हैं जिसके बारे में ईयू का कहना है कि उसने वानाक्राय साइबर हमलों, सेनी पिक्चर्स की हैकिंग और वियतनामी तथा बांग्लादेशी बैंकों की साइबर लूट में सहयोग किया है।