लंदन: नेताओं का अक्सर मानना रहा है कि उन्हें अपने मातहतों को आज्ञाकारी बनाने के लिए ज्यादा गुस्सा दिखाना चाहिए। पर एक अध्ययन के मुताबिक, क्रोधित नेताओं को मनाने में दूसरे लोग ज्यादा डरते हैं, जबकि संवेदनशील नेताओं को फूल देकर उनकी नाराजगी या उदासी दूर की जा सकती है। नेताओं की भावनाओं के प्रदर्शन पर केंद्रित इस अध्ययन में पता चला है कि गुस्सैल नेताओं को भावुक नेताओं की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है, इसके बावजूद गुस्सैल नेताओं को उनके रिपोर्ट कार्ड में कम अंक हासिल हुए।
जर्मनी के म्यूनिख तकनीकी विश्वविद्यालय में अध्ययनकर्ता तंजा स्चवार्जमूलर ने कहा, "मातहतों ने अपने नेताओं की छवि उनके नकारात्मक कार्यो की स्थितियों को देखकर बनाई।"
हालांकि नेता अपनी वैध शक्तियों से फायदा उठा सकते हैं। अपने मातहतों पर मालिक के रूप में गुस्सा दिखाना कभी-कभी उल्टा भी पड़ सकता है। एक नेता की योग्यता अपने समर्थकों को प्रभावित करने लिए उनकी पहचान रखने और सहानुभूति रखने से होती है।
अध्ययन में कहा गया है कि दूरदृष्टि भी समर्थकों की वफादारी और प्रतिबद्धता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण शर्त है। अध्ययन में स्चवार्जमूलर ने कहा, "गुस्सैल नेताओं को सामान्यतया ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है, लेकिन उनकी यह शक्ति एक कमजोर नींव पर टिकी हुई दिखती है।"
दल ने इस अध्ययन के लिए तीन चरणों वाले एक प्रयोग की विधि अपनाई। पहले दो चरणों में समूह ने गुस्सैल नेताओं और भावुक नेताओं के वीडियों का अध्ययन किया। तीसरे चरण में ऑनलाइन सर्वेक्षण में प्रतिभागियों को किसी घटना से जुड़े चित्र दिखाए गए।
उम्मीद के मुताबिक, गुस्सैल नेताओं ने कई तरह की स्थिति के मुताबिक अपनी प्रतिक्रिया दी। इसमें वैध तरीके से सजा देने या पुरस्कार रोकने या शक्ति दिखाने की बात कही गई। वहीं दूसरी तरफ पर भावुक नेताओं ने ज्यादातर वैध तरीके, संगठन में या पद में फेरबदल, सजा पर नियंत्रण और पुरस्कार आदि दिए जाने की बात कही। लेकिन शोधकर्ताओं ने बताया कि जब यह बात निजी शक्ति के स्तर पर आई तो भावुक नेताओं ने अपने अनुयायियों से मजबूती से अपील की।